शनिवार, 7 जुलाई 2012

जोर का झटका ...धीरे से लगा !!-a short story


जोर का झटका ...धीरे से लगा !!



विपाशा कॉलेज से घर लौटी तो माँ के कराहने की आवाज सुनकर  माँ के कमरे की और  बढ़  ली .माँ पलंग पर लेटी  हुई थी .विपाशा ने अपना बैग एक ओर रखा  और माँ के माथे पर हाथ रखकर देखा .माँ ज्वर  से तप रही थी .विपाशा ने माँ से पूछा -''दवाई नहीं दी भाभी  ने ?''माँ ने इशारे से मना कर दिया .विपाशा का ह्रदय क्रोध की अग्नि से धधक  उठा किन्तु अपने पर नियंत्रण कर पहले रसोईघर में गयी और चाय बना ली .माँ को सहारा देकर बैठाया और बिस्कुट खिलाकर दवाई दे दी .माँ को थोड़ी देर में कुछ आराम मिला तो वे सो गयी .माँ को सोया हुआ देखकर विपाशा भाभी के कमरे की ओर गयी .विपाशा के वहां पहुँचते ही भाभी तेजाबी अंदाज  में बोली -''  आ गयी  कॉलेज से घूमकर ?आज बहुत  देर से आई हो  !''विपाशा ने शांत रहते  हुए  कहा  -''माँ की दवाई देना आप भूल गयी थी या आपने जान बूझकर नहीं दी ?''भाभी का चेहरा गुस्से से लाल  हो गया और विपाशा को लताड़ते  हुए बोली -'अपनी हद में रहो वरना तुम्हारे भैया से कहकर तुम्हे ओर तुम्हारी माँ को घर से बाहर .....खड़ा कर दूंगी ......अब ससुर  जी  तो जिन्दा रहे नहीं ....दर दर  ठोकरे  खाती फिरोगी ....''तभी भाभी का मोबाईल बज उठा   .उसकी माता जी का फोन था .घबराई हुई बोल रही -''....कनक  ...मैं और तेरे पापा सड़क पर खड़े हैं ...तेरे भाई -भाभी ने हमें  घर से बाहर निकाल  दिया है .दामाद  जी को लेकर तुरंत यहाँ आ जा तेरे पापा की तबियत बहुत ख़राब है .'' ये सुनते ही भाभी के पैरों तले की जमीन खिसक गयी .उसकी आँख में आंसू छलक आये और विपाशा के अधरों पर व्यंग्यात्मक    मुस्कान  !
                      शिखा कौशिक 
              [मेरी कहानियां ]

8 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

bahut sahi likha aapne par bhagwan ka nyay itni jaldi kahan hota hai .धिक्कार तुम्हे है तब मानव ||

Unknown ने कहा…

BADE BUJURGON NE KAHA HAI KI ;;;
NARI HI NARI KI SABSE BADI DUSHMAN HOTI HAI ---
CHAHE VAH "KANYA BHRUD HATYA" HO YA "NARI SHOSHAN"

DHANYABAD:-

http://yayavar420.blogspot.in/

रविकर ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुती |
शुभकामनायें ||

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत सही और अच्छी प्रस्तुति |
आशा

bhuneshwari malot ने कहा…

aabhar, bahut hi sarthk khani h.

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

कैसे भी लगे, झटका लगना ज़रूरी है। अहंकार के मारे हुए बिना झटका खाए किसी जायज़ को मानते ही नहीं हैं।

अच्छी नसीहतआमोज़ मुख्तसर कहानी.

इसे आप प्यारी मां ब्लॉग पर भी लगाएं तो अच्छा रहेगा. हो सकता है कोई मां सड़क पर आने से बच जाए.

Shikha Kaushik ने कहा…

AAP SABHI KA PROTSAHAN HETU AABHAR .ANWAR JI -MAIN AB 'PYARI MAA' BLOG PAR NAHI HUN .AAP YAHAN SE LEKAR ISE VAHAN DAL DEN .AABHAR

Reena Pant ने कहा…

.हा ...हा हा जैसी करनी वैसी भरनी......कटु सत्य को उजागर करती कहानी