मिलती है हमको माँ उसके रहमों-करम से ;
मिलती है माँ की गोद उसके रहमों-करम से .
अहकाम में माँ के छिपी औलाद की नेकी ;
ममता की मिलती छाँव उसके रहमों-करम से .
तालीम दे जीने के वो काबिल है बनाती ;
माँ करती राहनुमाई उसके रहमों-करम से .
औलाद की ख्वाहिश को वो देती है तवज्जह ;
माँ दिलकुशा मोहसिन उसके रहमों-करम से .
कुर्बानियां देती सदा औलाद की खातिर ;
माँ करती परवरिश है उसके रहमों-करम से .
तसव्वुर 'शालिनी' के अब भर रहे परवाज़ ;
माँ देती बुलंदी की राह उसके रहमों-करम से .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
अहकाम -हुकुम ,राहनुमाई -पथप्रदर्शन ,दिलकुशा -बड़े दिलवाला ,मोहसिन -एहसान करने वाला ,तसव्वुर -कल्पना ,परवाज़ -उड़ान
6 टिप्पणियां:
सार्थक लिखा है आपने .आभार
भारतीय नारी
बहुत सुन्दर शालिनी जी....
बेहतरीन रचना.
अनु
.thanks
TIME HAS COME ..GIVE YOUR BEST WISHES TO OUR HOCKEY TEAM -BEST OF LUCK ..JAY HO !
रफ़्तार जिंदगी में सदा चलके पायेंगें
---सुन्दर रचना....बधाई ..
राहनुमाई ...यह शायद 'रहनुमाई' है
तसव्वुर = ...मेरे विचार से 'ख्याल' ...
तसव्वुर 'शालिनी' के अब भर रहे परवाज़ ;
माँ देती बुलंदी की राह उसके रहमों-करम से .
Nice.
आज रक्षा बंधन के पर्व की सभी को मंगल कामनाएं ।
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