बुधवार, 7 मार्च 2018

महिला दिवस पर--कहानी हमारी -तुम्हारी ---डा श्याम गुप्त ...


महिला दिवस पर--कहानी हमारी -तुम्हारी ---डा श्याम गुप्त ...

                

महिला दिवस पर---
कहानी हमारी -तुम्हारी
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ये दुनिया हमारी सुहानी न होती ,
कहानी ये अपनी कहानी न होती ।
ज़मीं चाँद -तारे सुहाने न होते ,
जो प्रिय तुम न होते, अगर तुम न होते।

न ये प्यार होता, ये इकरार होता ,
न साजन की गलियाँ, न सुखसार होता।
ये रस्में न क़समें, कहानी न होतीं ,
ज़माने की सारी रवानी न होती ।

हमारी सफलता की सारी कहानी ,
तेरे प्रेम की नीति की सब निशानी ।
ये सुंदर कथाएं फ़साने न होते,
सजनि! तुम न होते,जो सखि!तुम न होते ।

तुम्हारी प्रशस्ति जो जग ने बखानी,
कि तुम प्यार-ममता की मूरत,निशानी ।
ये अहसान तेरा सारे जहाँ पर ,
तेरे त्याग -दृढता की सारी कहानी ।

ज़रा सोचलो कैसे परवान चढ़ते,
हमीं जब न होते, जो यदि हम न होते।
हमीं हैं तो तुम हो सारा जहाँ है ,
जो तुम हो तो हम है, सारा जहाँ है।

अगर हम न लिखते, अगर हम न कहते ,
भला गीत कैसे तुम्हारे ये बनते।
किसे रोकते तुम, किसे टोकते तुम ,
ये इसरार इनकार, तुम कैसे करते ।

कहानी हमारी -तुम्हारी न होती ,
न ये गीत होते, न संगीत होता।
सुमुखि ! तुम अगर जो हमारे न होते
सजनि! जो अगर हम तुम्हारे न होते॥

भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता -5 का परिणाम

भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता -5 का परिणाम

''सुश्री शालिनी कौशिक जी व् सुश्री मनीषा गुप्ता जी संयुक्त रूप से विजेता''


भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता-5 का परिणाम घोषित  करते हुए मुझे अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है |प्रतियोगिता हेतु दो ही प्रविष्टियां प्राप्त हुई हैं |दोनों ही  प्रतिभागियों  ने बहुत सुन्दर क्षणिकाएं प्रेषित की है | दोनों ही प्रतिभागियों को संयुक्त रूप से विजेता घोषित किया जाता है | दोनों प्रतिभागियों के नाम  इस प्रकार है -
१- सुश्री शालिनी कौशिक [एडवोकेट]
२- सुश्री मनीषा गुप्ता bouquet of flowers congratulations के लिए इमेज परिणामbouquet of flowers congratulations के लिए इमेज परिणाम

 शालिनी जी व् मनीषा जी आप दोनों को बहुत बहुत बधाई | आशा है भविष्य में भी आप भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिताएं में प्रतिभागिता कर आयोजन को सफल बनाने में हमारा सहयोग करती रहेंगी | आप दोनों के प्रमाण -पत्र व् '' ये तो मोहब्बत नहीं '' काव्य-संग्रह की प्रति शीघ्र ही डाक द्वारा आपके बताये गए पते पर प्रेषित कर दी जाएँगी -

शुभकामनाओं के साथ
डॉ शिखा कौशिक 'नूतन'
[ब्लॉग -व्यवस्थापक ]



निश्चित रूप से दोनों प्रतिभागियों द्वारा प्रेषित क्षणिकाएं  नारी जीवन के मर्म को अभिव्यक्ति प्रदान करने वाली हैं. जो इस प्रकार हैं -
*कांधला (शामली) से सुश्री शालिनी कौशिक एडवोकेट द्वारा प्रेषित क्षणिकाएं -



1-
ममता की बेबसी में,
       करती रोटी की चोरी,
रखे खुद की थाली खाली
       भरे बेटे की कटोरी.

2-

लाचार पिता दिन भर
      करे हाड़-तोड़ मेहनत,
चमका सके न फिर भी
    बेटी की दुखी किस्मत.

शालिनी कौशिक

एडवोकेट

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*ऋषिकेश से सुश्री मनीषा गुप्ता द्वारा प्रेषित क्षणिकाएं -

क्षणिका ( 1)

माटी की मूरत हैं हम बेटियाँ
जिस रूप में चाहो ढल जाती हैं
मायके से लेकर ससुराल की लाज
बचाते बचाते एक दिन चिर निंद्रा में
सो जाती हैं .............!

क्षणिका ( 2)

नित्य संवेदना से घिरिअस्तित्व विहीन
अपरिपूर्ण परिलक्षित सी मैं ....
प्यार के सारगर्भित रहस्य को छुपा
निश्चेतन ,निष्प्राण सी शिलाखंड...
न भावनाओं का आरोह न जज़्बातों
का अवरोह जिंदगी की ग़ज़ल में
तार सप्तक के स्वर ......
राग मल्हार गाने की कोशिश पर
मन रूपी वीणा के अव्यवस्थित से तार...

मनीषा गुप्ता

' अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस'' की हार्दिक बधाई व् शुभकामनायें ''

भारतीय नारी ब्लॉग के सभी योगदानकर्ताओं व् पाठकों और  अनुसरणकर्ताओं को ' अंतर्राष्ट्रीय  महिला  दिवस'' की हार्दिक बधाई व् शुभकामनायें |




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क्यों ना इस महिला दिवस पुरुषों की बात हो ?


क्यों ना इस महिला दिवस पुरुषों की बात हो ?

"हम लोगों के लिए स्त्री केवल गृहस्थी के यज्ञ की अग्नि की देवी नहीं अपितु हमारी आत्मा की लौ है, रबीन्द्र नाथ टैगोर।"
8 मार्च को जब सम्पूर्ण विश्व के साथ भारत में भी "महिला दिवस" पूरे जोर शोर से मनाया जाता है और खासतौर पर जब 2018 में यह आयोजन अपने 100 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है तो इसकी प्रासंगिकता पर विशेष तौर पर विचार करना आवश्यक हो जाता है।
जब आधुनिक विश्व के इतिहास में सर्वप्रथम 1908 में 15000 महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक विशाल जुलूस निकाल कर अपने काम करने के घंटों को कम करने, बेहतर तनख्वाह और वोट डालने जैसे अपने अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई शुरू की थी तो, इस आंदोलन से तत्कालीन सभ्य समाज में महिलाओं की स्थिति की हकीकत सामने आई थी।
उससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य  यह है कि अगर वोट देने के अधिकार को छोड़ दिया जाए तो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के वेतन और समानता के विषय में भारत समेत सम्पूर्ण विश्व में महिलाओं की स्थिति आज भी चिंतनीय है।
विश्व में महिलाओं की वर्तमान सामाजिक स्थिती से सम्बन्धित एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत की बात की जाए, तो 2017 में लैंगिक असमानता के मामले में भारत दुनिया के 144 देशों की सूची में 108 वें स्थान पर है जबकि पिछले साल यह 87 वें स्थान पर था। किन्तु केवल भारत में ही महिलाएँ असमानता की शिकार हों ऐसा भी नहीं है इसी रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि ब्रिटेन जैसे विकसित देश की कई बड़ी कंपनियों में भी महिलाओं को उसी काम के लिए पुरुषों के मुकाबले कम वेतन दिया जाता है। वेतन से परे अगर उस काम की बात की जाए जिसका कोई वेतन नहीं होता, जैसा कि हाल ही में अपने उत्तर से विश्व सुन्दरी का खिताब जीतने वाली भारत की मानुषी छिल्लर ने कहा था, और जिसे एक मैनेजिंग कंसल्ट कम्पनी की रिपोर्ट ने काफी हद तक सिद्ध भी किया। इसके मुताबिक, यदि भारतीय महिलाओं को उनके अनपेड वर्क अर्थात वो काम जो वो एक गृहणी, एक माँ, एक पत्नी के रूप में करती हैं, उस के पैसे अगर दिए जाएं तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था में 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान होगा। और इस मामले में अगर पूरी दुनिया की महिलाओं की बात की जाए तो यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट के अनुसार उन्हें 10 ट्रिलियन अमेरिकी डालर अर्थात पूरी दुनिया की जीडीपी का 13% हिस्सा देना होगा।
तो जब हर साल महिला दिवस पर महिलाओ की लैंगिक समानता की बात की जाती है, सम्मान की बात की जाती है, उनके संवैधानिक अधिकारों की बात की जाती है लेकिन उसके बावजूद  आज 100 सालों बाद भी धरातल पर इनका खोखलापन दिखाई देता है तो इस बात को स्वीकार करना आवश्यक हो जाता है महिला अधिकारों की बात पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के प्रति पुरुषों की सोच में बदलाव लाए बिना संभव नहीं है। लेकिन सबसे पहले इस बात को भी स्पष्ट किया जाए कि जब महिला अधिकारों की बात होती है तो वे पुरुष विरोधी या फिर उनके अधिकारों के हनन की बात नहीं होती बल्कि यह तो सम्पूर्ण मानवता के, दोनों के ही उन्नत हितों की, एक सभ्य एवं समान समाज की बात होती है।
इसलिए इस बार महिलाओं दिवस पर पुरुषों से बात हो ताकि उनका महिलाओं के प्रति उनके नजरिए में बदलाव हो।
जिस प्रकार कहा जाता है कि एक लड़की को शिक्षित करने से पूरा परिवार शिक्षित होता है उसी प्रकार एक बालक को महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता की शिक्षा देने से उन पुरुषों का और उस समाज का निर्माण होगा जो स्त्री के प्रति संवेदनशील होगा। क्योंकि आधी आबादी को अनदेखा करके विकास और आधुनिकता की बातें विश्व में तर्क हीन ही सिद्ध होंगी।
जरूरत इस बात को समझने की है कि स्त्री और पुरुष दोनों एक दूसरे के पूरक हैं प्रतिस्पर्धी नहीं और मानव सभ्यता के विकास एवं एक सभ्य समाज के निर्माण के लिए एक दूसरे के प्रति संवेदनशीलता तथा सम्मान का भाव आवश्यक है।
और भारत की अनेकों नारियों ने समय समय पर यह सिद्ध किया है कि वह अबला नहीं सबला है, केवल जननी नहीं ज्वाला है।
वो नाम जो कल झाँसी की रानी था या कल्पना चावला था, आज देश की पहली डिफेन्स मिनिस्टर निर्मला सीतारमन, इंटर सर्विस गार्ड आँफ आँनर का नेतृत्व करने वाली पहली भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर पूजा ठाकुर या फिर भारतीय वायुसेना में फाइटर प्लेन मिग 21 उड़ाने वाली अवनी चतुर्वेदी है।
तो महिला दिवस की सार्थकता महिलाओं के अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता में नहीं अपितु पुरुषों के उनके प्रति अपना नजरिया बदल कर संवेदनशील होने में है।
डॉ नीलम महेंद्र

शनिवार, 3 मार्च 2018

भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता - 5

भारतीय नारी ब्लॉग को आरंभ से ही आप सभी का बहुत प्यार मिला है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च के उपलक्ष्य में हम लेकर आये हैं - भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता - 5
प्रतियोगिता में प्रतिभागिता हेतु आपको प्रेषित करनी होंगी दो क्षणिकाएं - जो नारी जीवन से संबंधित हो. नारी जीवन की व्यथा, संघर्ष, संघर्ष पर विजय, नारी जीवन को प्रेरणा देती क्षणिकाएं....... फिर देर किस बात की. पुरुष व महिला सभी रचनाकारों के लिए है आमंत्रण. अन्य नियम निम्न प्रकार हैं - 

-डॉ शिखा कौशिक नूतन