'भारतीय नारी ' ब्लॉग प्रतियोगिता -[1] [2]- [ नियम व् शर्ते ] [प्रविष्टियाँ [परिणाम]

  भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता  -२ परिणाम [विजेता-सुश्री पुनीता  सिंह ]

Congratulations Flowers

इस प्रतियोगिता में कुल छः प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई -
१ -सुश्री पुनीता सिंह 
२-सुश्री शांति पुरोहित 
३-डॉ.सारिका मुकेश 
४-सुश्री शालिनी कौशिक 
५-सुश्री रेखा जोशी 
६-सुश्री शशि पुरवार

सभी प्रतिभागियों ने सर्वश्रेष्ठ  लेखन का परिचय देते हुए अपने पक्ष में विजेता की उपाधि प्राप्त करने का प्रयास किया पर बाज़ी मार ले गयी हैं सुश्री पुनीता  सिंह जी .पुनीता जी ने शब्द सीमा को ध्यान में रखते हुए गागर में सागर भर दिया .पुनीता जी को विजेता बनने पर भारतीय नारी ब्लॉग परिवार की ओर से हार्दिक बधाई .पुरस्कार स्वरुप -साझा काव्य संग्रह -'' खामोश ख़ामोशी और हम'' की एक प्रति उनके द्वारा बताये गए पते पर प्रेषित शीघ्र कर दी जाएगी यदि पुनीता जी के पते में कोई परिवर्तन हुआ है तो वे शीघ्र मेरे मेल [shikhakaushik666@hotmail.com] पर सूचित करें .अन्य प्रतिभागियों को भी निराश  होने की जरूरत नहीं क्योंकि अगली ब्लॉग प्रतियोगिता भी शीघ्र घोषित की जाएगी .

शुभकामनाओं के साथ 
शिखा कौशिक 'नूतन' 
[व्यवस्थापक -भारतीय नारी ब्लॉग ] 
प्रविष्टियाँ 
भारतीय नारी - ब्लॉग प्रतियोगिता -  प्रविष्टि -6 [सुश्री शशि पुरवार ]
Indira Gandhi
भारतीय नारी के बारे में क्या लिखूं , बस यही कि उससे बेहतर और कौन हो सकता है , परिवार का स्तम्भ , एक ऐसी परिधि जिसके चारो  ओर हमारी दुनिया घुमती है , भारतीय नारी के कंधो पर इतनी सारी  जिम्मेदारी होती है जिसे वह हँसते हुए सफलता पूर्वक निभाती है . बचपन से ही मै एक ऐसी नारी बनना चाहती थी जो शसक्त हो , आत्मविश्वास से लबरेज ,जिसकी आभा उसके चहरे से दिखे . हर नारी में यह गुण होता है , कोई उसे निखार  लेता है , तो कोई जीवन को बोझ समझ कर ढोता है , मुझे शसक्त नारियों ने बेहद प्रभावित किया .
बचपन में जब  कक्षा में थी तब इंदिरा गाँधी को कार्य करते हुए देखा , उनके बचपन के बारे में पढ़ा , देश की कमान जिस तरह उन्होंने संभाली थी वह काबिले तारीफ थी , सौम्य रूप सादा सरल व्यक्तिव .....नजर बस ठहर ही जाये , जिस  समय जब  में पुरुष प्रधानता ज्यादा थी , उस समय इंदिरा गाँधी शीर्ष पर थी .और अपने कार्य के प्रति कर्मठ .

 
बस एक चाहत थी जीवन में कुछ करने की और वही सौम्यता जीवन में उतारने  की ......  यह कहना गलत  होगा भारतीय नारी किसी से कम नहीं जो चाहे वह कर सकती है , बस जरूरत है पूर्ण आत्मविश्वास की जो स्वयं के लिए भो होना आवश्यक है . आज की नारी ने हर क्षेत्र में अपनी पताका लहराई है , आज पुरुष के कंधे से कन्धा मिलाकर नारी ने हर वो कार्य कर सकती है जहाँ पुरुषो का वर्चस्व था , अब नारी ने भी स्थान बनाया है .
शशि पुरवार 
==========================================================परिचय ...
 
नाम  ---   शशि पुरवार 
जन्म तिथि    ----     २२ जून 
जन्म  स्थान   ---     इंदौर ( . प्र.)शिक्षा ----   स्नातक उपाधि ---- ,बीएस  सी ( विज्ञानं )
              
स्नातकोत्तर उपाधि -    एम .  ( राजनीती शास्त्र )
                   (
देविअहिल्या विश्विधालय  ,इंदौर )
     
हानर्स  डिप्लोमा इन कंप्यूटर  साफ्टवेयर ( तीन साल का )
कार्यक्षेत्र -    मेडिकल  रिप्रेजेंटेटिव के रूप में सफलता पुर्वक कार्य  का अनुभव लिया . 
भाषा ज्ञान - हिंदी अंग्रेजी ,मराठी 
प्रकाशन  ------ कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओ राष्ट्रीय पत्रिका में रचनाए  ,लेख , लघुकथा ,  कविता का  प्रकाशन होता रहता है . दैनिक भास्कर , बाबूजी का भारत मित्र , समाज कल्याण पत्रिका , हिमप्रस्थ , साहित्य दस्तक , लोकमत , नारी जाग्रति ........आदि .अनगिनत पत्र   पत्रिकाओ में प्रकाशन .
         
अंतर्जाल पर कई पत्रिकाओ में नियमित प्रकाशन होता है . हिंदी हाइकु  , अनुभूति , त्रिवेणी , कविमन ,परिकल्पना , सहज साहित्य   एवं अन्य पत्रिकाएं 

  "
नारी विमर्श के अर्थ "-- साँझा संकलन प्रकाशित 
उजास साथ रखना  "- साँझा संकलन , शीघ्र प्रकाश्य 
लेखन  विधाए   पहचान --------  बचपन से ही साहित्य के प्रति रुझान रहा है .प्रथम कविता 13 वर्ष की उम्र में लिखी ,प्रथम रचना लिखने के बाद जो अनुभूति हुई  उसने कलम को जीवन का अभीन्न अंग बना लिया . विचार और संवेदनाए  शब्दों के माध्यम से पन्नो पर जीवन के अलग अलग रंग बिखरने लगे .साहित्यिक विरासत माँ ( श्री मति मंजुला गुप्तासे मिली . जीवन भर विद्यार्थी रहना ही पसंद है . रचनात्मकता और कार्य शीलता ही पहचान है . लेखन करने का एकमात्र यही उदेश्य है कि समाज के लिए कुछ कर सकूं , एक दिशा प्रदान कर सकूं .कहानी , कविता , लघुकथा , काव्य की अलग अलग विधाए , गीत , दोहे , कुण्डलियाँ ,  गजल ,छन्दमुक्ततांका , चोका ,माहिया  और लेखों के माध्यम से जीवन के बिभिन्न रंगों को उकेरना पसंद है 
कविता दिल  आत्मा से निकली हुई आवाज होती है ,एवं शशि का अर्थ  है चाँद तो चाँद की तरह शीतलता बिखेरने का नाम है जिंदगी .

संपर्क ----   
email -  shashipurwar@gmail.com
blog -  http://sapne-shashi.blogspot.com
  













भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता -[प्रविष्टि-5] -सुश्री रेखा जोशी 
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सुश्री रेखा जोशी 




                       ''  अनन्या ''


''ट्रिग ट्रिन ''दरवाज़े की घंटी के बजते ही मीता ने खिड़की से झाँक कर

देखा तो वहां उसने अपनी ही पुरानी इक छात्रा अनन्या को दरवाज़े के बाहर

खड़े पाया ,जल्दी से मीता ने दरवाज़ा खोला तो सामने खड़ी वही मुधुर सी

मुस्कान ,खिला हुआ चेहरा और हाथों में मिठाई का डिब्बा लिए अनन्या खड़ी

थी  ''नमस्ते मैम ''मीता को सामने देखते ही उसने कहा ,''पहचाना मुझे

आपने। ''हाँ हाँ ,अंदर आओ ,कहो कैसी हो ''मीता ने उसे अपने घर के अंदर

सलीके से सजे ड्राइंग रूम में बैठने को कहा  अनन्या ने टेबल पर मिठाई के

डिब्बे को रखा और बोली ,''मैम आपको एक खुशखबरी देने आई हूँ मुझे आर्मी

में सैकिड लेफ्टीनेंट की नौकरी मिल गई है ,यह सब आपके आशीर्वाद का फल है

,मुझे इसी सप्ताह जाईन करना है सो रुकूँ गी नही ,फिर कभी फुर्सत से आऊं

गी ,''यह कह कर उसने मीता के पाँव छुए और हाथ जोड़ कर उसने विदा ली 

अनन्या के जाते ही मीता के मानस पटल पर भूली बिसरी तस्वीरे घूमने लगी, जब

एक दिन वह बी एस सी अंतिम वर्ष की कक्षा को पढ़ा रही थी तब उस दिन अनन्या

क्लास में देर से आई थी और मीता ने उसे देर से कक्षा में आने पर डांट

दिया था और क्लास समाप्त होने पर उसे मिलने के लिए बुलाया था  पीरियड

खत्म होते ही जब मीता स्टाफ रूम की ओर जा रही थी तो पीछे से अनन्या ने

आवाज़ दी थी ,''मैम ,प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो ,''और उसकी आँखों से मोटे

मोटे आंसू टपकने लगे  तब मीता उसे अपनी प्रयोगशाला में ले गई थी ,उसे

पानी पिलाया और सांत्वना देते हुए उसके रोने की वजह पूछी ,कुछ देर चुप

रही थी वो ,फिर उसने अपनी दर्द भरी दास्ताँ में उसे भी शरीक कर लिया था

उसकी कहानी सुनने के बाद मीता की आँखे भी नम हो उठी थी ।उसके पिता का

साया उठने के बाद उसके सारे रिश्तेदारों ने अनन्या की माँ और उससे छोटे

दो भाई बहनों से मुख मोड़ लिया था ,जब उसकी माँ ने नौकरी करनी चाही तो उस

परिवार के सबसे बड़े बुज़ुर्ग उसके ताया जी ने उसकी माँ के सारे

सर्टिफिकेट्स फाड़ कर फेंक दिए,यह कह कर कि उनके परिवार की बहुएं नौकरी

नही करती। हर रोज़ अपनी आँखों के सामने अपनी माँ और अपने भाई बहन को कभी

पैसे के लिए तो कभी खाने के लिए अपमानित होते देख अनन्या का खून खौल

उठता था , चाहते हुए भी कई बार वह अपने तथाकथित रिश्तेदारों को खरी खोटी

भी सुना दिया करती थी और कभी अपमान के घूँट पी कर चुप हो जाती थी 

पढने में वह एक मेधावी छात्रा थी ,उसने पढाई के साथ साथ एक पार्ट टाईम

नौकरी भी कर ली थी ,शाम को उसने कई छोटे बच्चों को ट्यूशन भी देना शुरू

कर दिया था और वह सदा अपने छोटे भाई ,बहन की जरूरते पूरी करने की कोशिश

में रहती थी ,कुछ पैसे बचा कर माँ की हथेली में भी रख दिया करती थी ,हां

कभी कभी वह मीता के पास  कर अपने दुःख अवश्य साझा कर लेती थी ,शायद उसे

इसी से कुछ मनोबल मिलता हो  फाइनल परीक्षा के समाप्त होते ही मीता को

पता चला कि उनका परिवार कहीं और शिफ्ट कर चुका है ।धीरे धीरे मीता भी

उसको भूल गई थी ,लेकिन आज अचानक से उसके आने से मीता को उसकी सारी बाते

उसके आंसू ,उसकी कड़ी मेहनत सब याद आगये और मीता का सिर गर्व से ऊंचा

हो गया उस लडकी ने अपने नाम को सार्थक कर दिखाया अपने छोटे से परिवार के

लिए आज वह अनपूर्णा देवी से कम नही थी |

भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता -२ ,प्रविष्टि -४]सुश्री शालिनी कौशिक  [ एडवोकेट ]

जीवन में किस नारी ने आपको सर्वाधित प्रभावित किया है इसका कोई मुश्किल जवाब  नहीं है ,''माँ''इससे ऊपर इस पायदान पर कोई हो ही नहीं सकता .वैसे भी  माँ को भगवान ने अपना रूप दिया है और संतान के लिए प्रथम प्रेरणा के रूप में इस धरती पर उतारा है किन्तु मेरे जीवन में मैं अपनी माँ के बाद यह स्थान अपनी छोटी बहन ''डॉ.शिखा कौशिक ''को दूँगी
व्यवस्थापक
डॉ.शिखा कौशिक
       जो मेरी नज़रों में बहुत शर्मीली ,संकोची व् भोली बालिका की श्रेणी में रही ,नहीं सोच सकती थी मैं कि घर पर आने वाले किसी भी मेहमान या बाहरी व्यक्ति को देख छिप जाने वाली ये लड़की इतनी मजबूत होगी कि कोई भी प्रलोभन उसे उसके दृढ इरादों से डिगा नहीं पायेगा ,,नहीं सोचती थी कि समस्त प्रतियोगिताओं में भाग लेने की समस्त योग्यता रखते हुए भी कॉलेज प्रशासन के पक्षपात भरे रवैये को देखकर वह स्वयं को ऐसे उन सबसे अलग कर लेगी कि अपने आलोचकों से अपनी [मिथ्या] आलोचना का ,अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए उसे हराने का एकमात्र हथियार भी छीन उनमे खलबली मचा सकती है , शोध में आ रही कठिनाइयों को इतनी सहजता से झेलकर विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला कर अपने दम पर पी.एच-डी.डिग्री हासिल करने वाली मेरी छोटी बहन मेरे जीवन के लिए मात्र एक आदर्श ही नहीं उससे भी बढ़कर है कि उसे देखकर मन यही कहता है कि ''भगवान् अगर अगला जन्म भी मुझे इन्सान का मिले तो मेरी बहन का साथ मुझे अवश्य देना .''
          शालिनी कौशिक
                    [एडवोकेट]



 भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता-2 [ प्रविष्टि -3 ]-डा. सारिका मुकेश

बचपन हमारे जीवन में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है! बचपन में घटी कोई घटना हो या सुनी कहानियाँ; उनका असर कभी-कभी हमारे मस्तिष्क पर ऐसा पड़ता है कि हमारे जीवन की दिशा ही बदल जाती है! मुझे याद आता है कि बचपन में दादी जी रात को सोते वक़्त मुझे खूब किस्से-कहानी सुनाती थीं! पर उन सभी में मेरे मन-मस्तिष्क पर अपना प्रभाव जमा देने वाली इन्दिरा गाँधी की बातें थीं! मैं धीरे-धीरे उनसे प्रभावित होती चली गई और उनके बारे में अधिक से अधिक जानने कि उत्कंठा मन में प्रबल हो उठी!
मुझे याद आता है कि उस समय हमारे घर में तमाम पत्र-पत्रिकाएं आती थीं और एक दिन मुझे एक पत्रिका (शायदधर्मयुग) में दिए लेख में एक फोटो छपा था जिसमें सिर्फ़ इन्दिरा जी कुर्सी पर बैठी हुई कागज़ों को देखने/पढने में व्यस्त हैं और उनके चारों ओर पुरुष नेता खड़े हुए हैं! इतने सारे पुरूषों के बीच नारी का वर्चस्व स्थापित करती हुई इन्दिरा जी की वो तस्वीर मेरे दिलो-दिमाग पर छा गई थी और मुझमें तभी यह आत्मविश्वाश जाग गया था कि महिला को कमजोर कहना/समझना लोगों की भूल है! महिला किसी भी क्षेत्र में पुरूषों के संग कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती है!

डा. सारिका मुकेश



 भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता-2 [ प्रविष्टि -2 ]
सुश्री शांति पुरोहित 
                                                                    मै एक नारी से हमेशा प्रभावित रही हूँ, और उम्र भर रहूंगी | क्योंकि वो मेरी माँ है |जिन्होंने जन्म देने के साथ अच्छे संस्कार भी दिए है | मै, ये कभी नहीं भूल सकती की माँ ने खुद आधा खाया और मुझे पेट भर के खिलाया ;खुद गीले मे सोई मुझे सूखे मे सुलाया | उनके दिए संस्कारो से मेरा जीवन खुशियों से भरा हुआ है | उनका बहुत ही गरिमामय व्यक्तित्व था | हद से भी ज्यादा सहनशीलता थी | आज माँ मेरे साथ नहीं है पर उनके दिए संस्कारो से जीवन की हर उलझन को सुलझा लेती हूँ | हर पल उनके साये को अपने आस-पास मेहसूस करती हूँ | हर क्षेत्र मे आगे बढ़ने को प्रेरित करती रहती थी |माँ के सदेह पास न होने पर भी उनके दिए प्रकाशस्त्म्भ को आज भी अपने अंतर्मन मे पाती हूँ |उनके दिए संस्कारो को अपने बच्चो को दिए, और अब अपने बच्चो, के बच्चो को देने की कोशिश कर रही हूँ | माँ कि महिमा अपार है |
                                    हमारी भाषाओ के पास असंख्य शब्द है उसमे सब से छोटा शब्द माँ है,पर पूर्ण है,गहन है और महिमामय है |
                                     मै माँ को देवता समझती हूँ ;वो इसलिए जैसे -ब्रह्मा -स्रष्टि रचते है ,विष्णु पालन करते है और शिव संहार करते है| माँ ब्रह्मा है | हमारे धर्म-ग्रंथो मै माँ का अनंत गान है |जब स्रष्टि के सृजनहार को लगा कि वो हर घर मे नहीं पहुँच पायेगे तो उन्होंने माता का सृजन किया | मेरे लिए माँ का स्थान सबसे ऊँचा है |आज जो कुछ भी हूँ उनके आशीर्वाद से हूँ माँ तुझे सत कोटि प्रणाम |


1 -
पुनीता सिंह


एक महिला जो  सदैव मेरे दिल के करीब रहीं हैं वो वक्त बदल सकतीं थी,वो दुनिया क्या पूरा ब्रहम्मांड बदल सकतीं थी।उन्होने मुझे बदला परिवार को कहाँ  से कहाँ पहुंचा दिया। खामोश रहना और  सब कुछ कह जाना। वो कभी पत्त्थर नज़र आतीं तो कभी मोम सी पिघला जातीं। एक छोटे से आँचल में सारा जहाँ समेटने का जज्बा रखतीं थीं वो ना शब्द उनके शब्दकोष में था ही नहीं। जी  हाँ वो थी मेरी जननी मेरी प्यारी मां ,जो अब इस दुनिया से बहुत दूर जा चुकी  हैं। फिर भी हर पल मै  उनका साया अपने करीब महसूस करतीं हूँ। उनके दिए संस्कार,जीवन के नैतिक नियम आज भी मुझे हर जगह कामयाबी का परचम लहराने का साहस देतें हैं जब मै बहुत उदास होती हूँ और जीवन में काफी अकेलापन महसूस करतीं हूँ तो वो और उनके बताये रास्ते ही मुझे उलझनों से बाहर निकालने में मदद करतें हैं।वो एक बट-बृ क्ष  के सामान सबको सिर्फ छाया प्रदान करतीं रहीं और हम उनसे सिर्फ लेते रहे लेते रहे,जब तक बो जीवित रही। आज मै अपने बच्चों को उनके दिए संस्कार दे रहीं हूँ।  वो देश के अच्छे नागरिक बने।वो डाक्टर ,इंजीनियर,आई पी एस अधिकारी बने या ना बने वो एक इंसान जरुर बन पायेगे ये मेरा विशवास है।यह सबस सम्भव होगा मेरी मान की बजह से। इअसॆ लिए शायद कहा गया है माँ सिर्फ माँ ही नहीं होती है मानो तो पूरा आकाश -जहाँ  होती है। उसकी हिदायतों को सहेज लो ,उसकी कठोरता को समझो,सात पुस्तों तक जीवन सवँर  जाएगा,मुस्कराएगा          

''भारतीय नारी '' ब्लॉग प्रतियोगिता -2 


जीवन में किस 'भारतीय नारी ' ने किया है आपको सर्वाधिक प्रभावित ? दो सौ शब्दों की सीमा में लिख दीजिये अपना संस्मरण .यही है -''भारतीय नारी '' ब्लॉग प्रतियोगिता -2 

    नियम व् शर्ते
*अपनी प्रविष्टि  केवल इस इ मेल पर प्रेषित करें [shikhakaushik666@hotmail.com].अन्यत्र प्रेषित प्रविष्टि प्रतियोगिता का हिस्सा न बन सकेंगी .प्रविष्टि  के साथ अपना पूरा पता सही सही भेंजे .
* प्रतियोगिता आयोजक का निर्णय ही अंतिम माना जायेगा .इसे किसी भी रूप में चुनौती नहीं दी जा सकेगी .
*प्रतियोगिता किसी भी समय ,बिना कोई कारण बताये  रद्द की जा सकती है .
* विजेता को '' खामोश  ख़ामोशी और हम ''काव्य संग्रह की एक प्रति पुरस्कार  स्वरुप प्रदान की जाएगी .
*उत्तर भेजने की अंतिम तिथि ३० मई  २०१३ है .
*प्रतियोगिता परिणाम के विषय में अंतिम तिथि के बाद इसी ब्लॉग पर सूचित कर दिया जायेगा .


शिखा कौशिक 'नूतन '


'भारतीय नारी ' ब्लॉग प्रतियोगिता -1


प्रश्न १-आंठ्वी शताब्दी के अंत और नवी शताब्दी के शुरू  में अलवारों में एकमात्र महिला  का नाम बताएं .

प्रश्न २-भगवान महावीर से दीक्षा लेने वाली प्रथम भिक्षुणी का नाम बताएं .

प्रश्न-३  ऋग्वेद के दसवे मंडल के १०९वे सूक्त की दो रचयित्री हैं .इनका नाम बताएं .

 प्रश्न ४-आसफ खान द्वारा गोंडवाना विजय के समय रानी दुर्गावती की छोटी बहन मुगलों के हाथ  लग गयी थी और इन्हें दरबार में भेज दिया गया था .इनका नाम बताएं .

 प्रश्न ५-अजीजन नाम की नर्तकी जिसने १८५७ की क्रांति में अपनी महिला  सेना  के सहयोग से क्रांतिकारियों को दूध फल ,रसद व् हथियार पहुंचकर उनका हौसला बढाया .अजीजन की इस महिला सेना का नाम क्या था ?

 प्रश्न६- २० दिसंबर १९३१ को 'क्रिमिनल-ल़ा-एमेंडमेंट-एक्ट 'के अंतर्गत गिरफ्तार की गयी महान क्रन्तिकारी व् विदुषी   महिला का नाम बताएं .

 प्रश्न ७-डलहौजी-स्क्वायर-बम कांड में गिरफ्तार हुई क्रांतिकारी महिला का नाम बताएं .

 प्रश्न ८- प्रथम आदित्य  बिरला कला शिखर पुरस्कार  प्राप्त करने वाली महिला का नाम बताएं .

 प्रश्न ९-  ३० मार्च १९०८ को दक्षिण भारत के वाल्टेयर नगर में जन्मी भारतीय फिल्मों की  अभिनेत्री का नाम बताएं .

 प्रश्न 10 -भारत की प्रथम महिला म्रदंगमवादक  का नाम बताएं .



                                                          नियम व् शर्ते
*उत्तर केवल इस इ मेल पर प्रेषित करें [shikhakaushik666@hotmail.com].अन्यत्र प्रेषित उत्तर प्रतियोगिता का हिस्सा न बन सकेंगें .उत्तर के साथ अपना पूरा पता सही सही भेंजे .
* प्रतियोगिता आयोजक का निर्णय ही अंतिम माना जायेगा .इसे किसी भी रूप में चुनौती नहीं दी जा सकेगी .
*सर्वप्रथम-सर्वशुद्ध हल प्रेषित करने वाले प्रतिभागी को ही विजेता घोषित किया जायेगा .
*प्रतियोगिता किसी भी समय ,बिना कोई कारण बताये  रद्द की जा सकती है .
* विजेता को '' खामोश  ख़ामोशी और हम ''काव्य संग्रह की एक प्रति पुरस्कार  स्वरुप प्रदान की जाएगी .
*उत्तर भेजने की अंतिम तिथि १५ जनवरी २०१३ है .
*प्रतियोगिता परिणाम के विषय में अंतिम तिथि के बाद इसी ब्लॉग पर सूचित कर दिया जायेगा .

                                                         शिखा कौशिक [व्यवस्थापक -भारतीय नारी ]

4 टिप्‍पणियां:

nayee dunia ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 05/10/2013 को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 017 तेरी शक्ति है तुझी में निहित ...< href=http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/>
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

डा श्याम गुप्त ने कहा…

अच्छे प्रयास हैं....बधाई

bhuneshwari malot ने कहा…

Nice

Panch Pothi ने कहा…

खूब