सोमवार, 9 जून 2025

सशक्त नारी -बिगड़ता समाज



आख़िरकार वही हुआ जो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था. आज तक पुरुष पर दरिंदगी के आरोप लगते रहे किन्तु आज की भारतीय नारी ने पिछले कुछ समय से यह साबित करके दिखा ही दिया है कि वह पुरुषो से किसी भी मामले मे पीछे नहीं है. अपने सकारात्मक स्वरुप से नारी देवी का स्वरुप तो सृष्टि के आरम्भ से ही दिखाती आ रही थी किन्तु वह राक्षसी भी हो सकती है, चुड़ैल भी हो सकती है यह आधुनिकता की ओर बढ़ते नये भारत में ही नजर आया है.

      लड़कियों के लिए तो आधुनिक सामाजिक संस्कृति के आरम्भ से ही विवाह मौत का द्वार बनता रहा है दहेज़ के दानव के कारण, किन्तु लड़कों को नहीं पता था कि एक दिन शादी करना उनके लिए भी मृत्यु के घाट उतरने के समान ही हो जायेगा. अभी तो भारतीय संस्कृति मुस्कान द्वारा किये गए सौरभ के टुकड़ों पर ही आंसू बहाकर शांत नहीं हुई थी कि भारतीय संस्कृति को धक्का पहुँचाने वाली सोनम और निकल आई.

        भारतीय संस्कृति में पत्नी हमेशा पति की प्रेरणा, जीवन रक्षक रही है. पति की मंगलकामना के लिए पत्नियों ने हर कष्ट को सहा है, हर संकट का सामना किया है. सोनम और राजा रघुवंशी की शादीशुदा जिंदगी की शुरुआत जिस माह में हुई वह एक ऐसा पवित्र माह है जिसकी अमावस्या को सुहागन नारियां सावित्री द्वारा अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज तक से ले आने की कथा कहते हुए वट सावित्री व्रत रखती हैँ और अपने पति के दीर्घायु होने की प्रार्थना करती हैं, ऐसे पवित्र ज्येष्ठ मास में सोनम ने सावित्री के आदर्श को तोड़ा है, वह पति जो पत्नी की बात और उसका मन रखते हुए बिना किसी पूर्व योजना के हनीमून पर जाता है, माँ उमा रघुवंशी की सीख को एक ओर रख पत्नी सोनम की भावना की कदर करते हुए उसके कहने पर सोने की चेन पहनकर जाता है. उसे इस तरह से धोखे में रखकर, सुपारी देकर उसकी हत्या को अंजाम देकर भारतीय नारी की सृष्टि के आरम्भ से चली आ रही 

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता." 

      के सत्य को मिथक साबित किया है. यही नहीं सोनम ने गलत साबित कर दिया है उस सोच को, जिसे केरल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एक निर्णय में पत्नी के देवी स्वरुप को ऊपर रखते हुए सम्मान देते हुए कहा कि 

"पति को बचाते हुए पत्नी द्वारा केस वापस लेना असामान्य नहीं."

केरल हाई कोर्ट के जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस एम. बी. स्नेहलता की खंडपीठ ने पत्नी की महानता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, "एक स्त्री अपने वैवाहिक जीवन और परिवार की रक्षा के लिए क्षमा करती है और सहन करती है। यह क्षमा कोई निष्क्रिय क्रिया नहीं, बल्कि एक सक्रिय और परिवर्तनकारी कार्य है, जो भावनात्मक घावों को भरने और आंतरिक शांति प्राप्त करने का माध्यम बनता है। यह महिला की कमजोरी नहीं, बल्कि उसकी आंतरिक शक्ति का प्रमाण है, जिससे वह कटुता और प्रतिशोध की श्रृंखला को तोड़ती है।"

     बहुत गहरे हैँ वे घाव जो आज की ये बेटियां- सूर्पनखा का रूप धारण कर अपने परिवार को, पति को, बेटे बेटियों को पहुंचा रही हैँ. ये आधुनिक शिक्षा द्वारा भरे जा रहे वे कुसंस्कार ही कहे जा सकते हैँ जो भारतीय नारी को सीता की जगह सूर्पनखा बना रहे हैँ. एक तरफ सीता ने अपने पति का साथ देने के लिए राजसी ठाठ बाट तक त्यागकर वनों की कंटीली धरती पर नंगे पैर चलना स्वीकार किया और एक सूर्पनखा थी जिसने अपनी कलुषित वासना के लिए अपने भाई रावण, कुम्भकर्ण और भाई के एक लाख पूत, सवा लाख नातियों को युद्ध की भेंट चढ़वा कर सोने की लंका नगरी को श्मशान मे तब्दील करा दिया. ऐसे मे आज की शिक्षा व्यवस्था पर यह कलंक आएगा ही आएगा कि वह हमारी बेटियों को क्या पढ़ा रही है जो भारतीय नारी के दैवीय संस्कार छीन कर उन्हें राक्षसी स्वरूप में ढाल रही है. आज यह भारतीय शिक्षा की कमियां ही हैँ जो मुस्कान और सोनम के रूप में कातिल पत्नियां उभरकर सामने आ रही हैँ और हिंदी फ़िल्म के इस गाने की पंक्ति को सत्य साबित कर रही हैँ -

"शादी से पहले करती हैँ अक्सर प्रेम कँवारियाँ,

चक्कर खा गए हम तो रे भईया देख शहर की नारियाँ.

रामा ओ रामा!

द्वारा 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली )

सोमवार, 19 मई 2025

महिलाओं की सखी -वन स्टॉप सेंटर


(वन स्टॉप सेंटर-कानूनी ज्ञान)

वन स्टॉप सेंटर (OSC) हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक ही जगह पर विभिन्न सहायता सेवाएं प्रदान करने के लिए स्थापित एक एकीकृत केंद्र है। यह केंद्र महिलाओं को तत्काल और गैर-आपातकालीन दोनों प्रकार की सहायता प्रदान करता है, जिसमें चिकित्सा, कानूनी, मनोवैज्ञानिक परामर्श और आश्रय शामिल हैं. 

➡️ OSC के उद्देश्य:-
1️⃣ हिंसा से प्रभावित महिलाओं और बालिकाओं को तत्काल और गैर-आपातकालीन सहायता प्रदान करना।
2️⃣ पीड़ित महिलाओं को एक ही छत के नीचे चिकित्सा, कानूनी, मनोवैज्ञानिक और परामर्श सहायता प्रदान करना। 
3️⃣ हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना।
4️⃣ हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करना।

➡️ OSC में प्रदान की जाने वाली सेवाएं:-
1️⃣ आश्रम (अस्थायी आश्रय): 
पीड़ित महिलाओं को तत्काल सुरक्षित आश्रय प्रदान किया जाता है।
2️⃣ पुलिस डेस्क: 
पीड़ित महिलाएं पुलिस को अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
3️⃣ कानूनी सहायता: 
पीड़ित महिलाओं को कानूनी परामर्श और सहायता प्रदान की जाती है।
4️⃣ चिकित्सा सहायता: 
पीड़ित महिलाओं को चिकित्सा परामर्श और उपचार प्रदान किया जाता है।
5️⃣ मनोवैज्ञानिक परामर्श: 
पीड़ित महिलाओं को मनोवैज्ञानिक परामर्श और समर्थन प्रदान किया जाता है।
6️⃣ सामाजिक परामर्श:
पीड़ित महिलाओं को सामाजिक परामर्श और सहायता प्रदान की जाती है।
7️⃣ सहायता समूहों का संचालन: 
पीड़ित महिलाओं को अपने अनुभवों को साझा करने और एक-दूसरे का समर्थन करने के लिए सहायता समूह प्रदान किए जाते हैं।
8️⃣ प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रम:
पीड़ित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रम प्रदान किए जाते हैं।

OSC भारत सरकार द्वारा हिंसा से प्रभावित महिलाओं की सहायता के लिए शुरू की गई एक योजना है. इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना, उन्हें न्याय दिलाना और उनके जीवन को सुरक्षित बनाना है

 इस प्रकार किसी भी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाएं 181 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर वन स्टॉप सेंटर की मदद ले सकती हैँ.

प्रस्तुति 
शालिनी कौशिक 
एडवोकेट 
 कैराना (शामली )

शुक्रवार, 2 मई 2025

ल़डकियों में बढ़ती मर्दानगी

  


     नारी सशक्तिकरण के लिए प्राचीन भारत से ही एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाया गया. नारी शक्ति के अधिकारों को लेकर बहुत लड़ाइयाँ लड़ी गई, कितनी ही महिलाओं ने सशक्तिकरण के क्षेत्र में मिसालें भी गढ़ी, दुश्मनों के दांत युद्धों तक में खट्टे कर दिए, देश के विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री पद से लेकर देश में प्रधान मंत्री पद तक नारी शक्ति ने अपना लोहा मनवाया किन्तु जो हाल आज की महिला शक्ति ने कर दिखाया है वह वास्तव में हैरत अंगेज है. आज की महिला शक्ति ने विशेषकर पत्नी स्वरुप ने अपने पतियों का खासकर विवाहित धर्म में प्रवेश करने जा रहे लड़कों की दिमागी स्थिति का संतुलन गड़बड़ा दिया है. लड़के शादी करने से डर रहे हैं, कितने ही लड़की के नाम से दूर भाग रहे हैं. क्या क्या खतरनाक चल रहा है आजकल, इस की एक झलक 

➡️ पहले देखिए कुछ आजकल के समाचार - 

1-आज तक - 20 मार्च 2025 - मुस्कान और साहिल ने चाकू से किया हमला, उस दिन रात को जैसे ही सौरभ अपने कमरे में सोने गया, मुस्कान ने साहिल को बुला लिया. इसके बाद पहले मुस्कान ने सौरभ के सीने पर तेजधार खंजर से वार किया और फिर साहिल चाकू लेकर सौरभ पर टूट पड़ा. सौरभ पूरी ताकत से लड़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वो हार गया. मुस्कान उसकी मौत का तमाशा देखती रही. कुछ ही मिनटों में सौरभ की सांसें थम चुकी थी.कत्ल के बाद अब लाश ठिकाने लगाने की बारी थी. तो उसकी प्लानिंग भी पहले से हो चुकी थी. इसके बाद साहिल और मुस्कान ने मिलकर एक प्लास्टिक का बड़ा ड्रम खरीदा. फिर उन दोनों ने बाथरूम में सौरभ की लाश के टुकड़े किए और उस बड़े ड्रम में भर दिए. फिर उस ड्रम को सीमेंट का घोल डालकर भर दिया. यानी वो ड्रम सौरभ की ठोस कब्र बन चुका था.

2-दैनिक भास्कर - 19 फरवरी 2025 - मुजफ्फरनगर में शादी के दिन ब्यूटी पार्लर में सजने गई डॉक्टर दुल्हन अपनी महिला मित्र के साथ फरार हो गई। जब रात 9 बजे तक नहीं लौटी तो परिजनों ने कहा- कि ब्यूटी पार्लर में हार्टअटैक आने से दुल्हन की मौत हो गई।किसी ने दुल्हन की मौत की सूचना पुलिस को दे दी। पुलिस ने परिजनों से पूछताछ की तो घर वाले बार-बार बयान बदल रहे थे। पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम करवाने के लिए कहा तो परिवार मना करने लगा। शव दिखाने के लिए तैयार नहीं था। तब पुलिस ने ब्यूटी पार्लर का CCTV चेक किया।CCTV में डॉक्टर दुल्हन अपनी महिला मित्र के साथ जाती नजर आई। पुलिस दोनों को मध्यप्रदेश से पकड़कर ले आई है। नई मंडी कोतवाली में दुल्हन और उसकी महिला मित्र से पूछताछ की जा रही है।

3-हिन्दुस्तान - 2 अप्रैल 2025 - 30 साल के लोकेश मांझी रेलवे विभाग में लोको पायलट के पद पर तैनात हैं। उनकी शादी हर्षिता रैकवार नामक लड़की से साल 2023 में हुई थी। उन्होंने एसपी ऑफिस पहुंचकर गुहार लगाई है कि मेरी पत्नी मुझे मारती है। मुझे बचाओ साहब। पीड़ित ने इस पूरी घटना का एक वीडियो भी बनाया है, जिसे पुलिस को सौंपा है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

4-आज तक - 16 अप्रैल 2025 - यह कोई बॉलीवुड की रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म नहीं, बल्कि हकीकत है. मेरठ जिले के दौराला थाना क्षेत्र में ऐसा हुआ है. सोमवार की शाम बारात आने वाली थी. युवती की शादी रोहटा क्षेत्र के एक युवक से तय हुई थी. दुल्हन शादी से कुछ घंटे पहले मेकअप कराने के लिए दौराला के एक ब्यूटी पार्लर गई थी. जैसे ही मेकअप पूरा हुआ, दुल्हन वहीं बाहर खड़ी बाइक पर बैठे अपने प्रेमी के साथ भाग निकली.

5-दैनिक भास्कर - 16 अप्रैल 2025 - संगीता ने अपने पति को कैसे मारा, ये जानिए…बॉयफ्रेंड पति को बाइक पर लेकर गया, मार डाला संगीता के अपराध की कहानी 25 फरवरी, 2025 को शुरू होती है। जानी इलाके के गांव कुसेड़ी के जंगल में एक युवक की लाश मिली। उसके पास से जो पेपर मिले, उससे सामने आया कि वह अजय उर्फ बिट्‌टू (28) है। वह देहरादून में जॉब करता था। मेरठ में अपने ताऊ के पोते की शादी में शामिल होने आया था।पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सिर और चेहरे को भारी चीज से कुचलने की बात सामने आई। सिर की हड्‌डी टूट गई थी। जांच शुरू हुई। परिवार के सदस्यों की मोबाइल कॉल डिटेल में पत्नी संगीता पर शक गहराया। उसने एक खास नंबर पर लगातार और लंबी बातचीत की थी। इस नंबर की लोकेशन गाजियाबाद में मिली। यह नंबर अवनीश था, जो उसका रिश्तेदार था। अवनीश को पकड़े जाने के बाद संगीता के साथ उसका अफेयर भी सामने आया।

7-दैनिक जागरण - 17 अप्रैल 2025 - मेरठ के बहसूमा में अमित की हत्या उसकी पत्नी रविता और उसके प्रेमी ने मिलकर की थी। रविता का गांव के ही युवक से प्रेम प्रसंग चल रहा था जिस कारण अमित से उसका विवाद होता था। हत्या के बाद उन्होंने एक हजार रुपये में सांप खरीदकर अमित की कमर के नीचे रख दिया ताकि सर्पदंश से मौत लगे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाने से मौत की पुष्टि हुई।

8-अमर उजाला -(अलीगढ़) - 18 अप्रैल 2025 - यूपी में सास और होने वाले दामाद की लव स्टोरी अलीगढ़ और आस-पास के इलाकों में सुर्खियां बनी है। गुरुवार को थाने में रोते हुए मासूम बेटा बोला कि मां घर चल... इस पर होने वाले दामाद संग गई सपना ने मुंह फेर लिया। सात साल के बेटे के आंसू भी सपना के दिल को नहीं पिघला सके।

         महर्षि तुलसीदास जी ने कहा है -

महावृष्टि चलि फूट कियारी। जिमि स्वतंत्र होई विगरहि नारी।"

अर्थात जैसे भारी बारिश से खेतों की क्यारियाँ फूट जाती हैं, उसी तरह से स्वतंत्र होने पर स्त्रियाँ बिगड़ जाती हैं. सही साबित कर रही है आज की नारी महर्षि तुलसीदास जी की उक्त पँक्तियाँ, नहीं सम्भाल पा रही है आज की नारी स्वयं को मिली हुई यह स्वतंत्रता. आधुनिकता का ज्वर इस कदर हावी है कि आज फ़िल्मों और मॉडलिंग में लगी हुई महिलाओं को तो छोड़ दीजिए, गृहणी कही जाने वाली नारी के शरीर से भी वस्त्र धीरे धीरे कम होते जा रहे हैं, कहाँ महिलाओं के शरीर पर पहने वस्त्रों के ऊपर दुपट्टा, दुशाला एक शान हुआ करता था, एक पहचान हुआ करता था उसके सभ्य, सुसंस्कृत परिवार की बेटी या बहू होने की, किन्तु आज केवल उसके पुरातन होने की, बहनजी होने की उपाधि मात्र रह गए हैं जिसे कोई भी आधुनिक महिला सुनना नहीं चाहती. 

➡️ प्राचीन धार्मिक संस्कार को छोड रही आज की नारी - 

   आज देश में सत्तारूढ़ सरकार, जहां देश में सनातन धर्म, संस्कृति के उत्थान के लिए प्रयासरत है वहीं आज की नारी एक अलग ही लीक पर जा रही है. प्रेम विवाह या लिव इन रिलेशनशिप तो बिल्कुल ही अलग राह हो गई हैं जीने की पर इससे भी ज्यादा बढ़ गया है आज ब्यूटी पार्लर में जाकर दुल्हन के मेकअप का प्रचलन, धार्मिक संस्कार और नारी का गहना शर्म दोनों ताक पर रख दिए गए हैं. हमारे प्राचीन संस्कारों में ये शामिल था कि कँगना बंधने के बाद दूल्हा या दुल्हन वैवाहिक गतिविधि के लिए ही घर से बाहर निकलते थे जिनमे दूल्हे का तो फिर भी ये था कि वह घुड़चढी के लिए घर से निकलता था किंतु दुल्हन कँगना बंधने के बाद केवल शादी के धार्मिक संस्कार पूरे होने पर घर से विदा होने के लिए ही घर से निकलती थी अन्यथा नहीं, किन्तु आज कल एक नया प्रचलन शुरू हो गया है दुल्हन के ब्यूटी पार्लर में तैयार होने का और इसके लिए दुल्हन अपनी एक सहेली या बहन भाई के साथ ब्यूटी पार्लर पर आती है और दुल्हन के रूप में तैयार होकर कार या ई रिक्शा से वापस लौटती है, कई बार तभी ब्यूटी पार्लर के बराबर की दुकान से दुल्हन के रूप में तैयार होकर सामान खरीदने लगती है और कभी कभी दुल्हन के रूप में ही ब्यूटी पार्लर से फुर्र हो जाती है. दुल्हन के रूप में तैयार होने की शर्म का तो अब कहीं नामों निशान ही नहीं रह गया है. इस सब का असर विवाहों के टूटने से लेकर उसके आपराधिक अंत के रूप में नजर आ रहा है किन्तु आधुनिकता में डूब रहा समाज या फिर आज की आधुनिक नारी की कोई सोच इस ओर ध्यान देती नहीं दिखाई देती है. 

➡️ सह शिक्षा डाल रही है गलत असर - 

       आज स्कूल - कॉलिजों में सह शिक्षा का प्रचलन बढ़ गया है और इसका एक सीधा सीधा असर यह दिखाई दे रहा है कि लड़कियों में लड़का बनने की होड़ सी चल पड़ी है. पहले के समय में एक नियम कायदा था कि सडकों पर ज्यादा चुहलबाज़ी नहीं करनी है, कुछ खाना पीना नहीं है. लड़कियां पहले घर से स्कूल जाती थी और स्कूल से सीधे घर आती थी. घर आकर यदि कोई काम होता था तो घर के ही किसी सदस्य के साथ जाकर ले आती थी, किन्तु समय बदला, ये सब पुरातन बातों में शामिल हो गए, इन्हें मानने वाले बैकवर्ड हो गए. अब स्थिति यह हो चुकी है कि लड़कियां पूरी तरह से आजाद हो चुकी हैं. कोई लड़का अगर लड़की के हाथ मार देता है तो उसे पहले बहुत गलत कहा जाता था और अब तो कानून के घेरे में ही ले लिया जाता है किन्तु लड़कियां आते जाते अपने स्कूल के संगी साथियों को पीछे से हाथ मार रही हैं उनका रास्ता रोककर अनाप शनाप बाते सडकों पर कर रही है और हद यह हो गई है कि अब सभ्य समाज के लड़कों को ही लड़की का यह व्यवहारः बर्दाश्त से बाहर हो रहा है. स्कूल की बस से उतरते ही आइसक्रीम खरीदना, उसे सरेराह खाते जाना, शोर मचाते, हुड़दंग करते, खिल्ली उड़ाते जाना आज की लड़कियों का फैशन बन गया है. आज की लड़कियां स्कूटी चला रही हैं, कार चला रही हैं पूरी तरह से लड़कों को कॉपी कर रही हैं. लड़के जिस तरह से स्कूटी चलाते हैं लड़कियां वही स्टाइल कॉपी कर रही है. लड़कियां नौकरी कर रही हैं और सिगरेट, शराब पी रही हैं, रातों में लड़कों के साथ अर्धनग्न अवस्था में घूम रही हैं. लड़कियां रह कहां गई हैं अब तो चारो ओर मर्द ही मर्द, लड़के ही लड़के नजर आते हैं. 

    आधुनिकता का जो रूप आज की लड़कियों ने धारण किया है, उसी का परिणाम चारो ओर लड़कों पर कहर बनकर बरस रहा है. अब लगभग हर दस - पंद्रह लड़कियों में से जिसकी भी शादी तय हो रही है उसका कोई न कोई बॉय फ्रेंड जरूर है क्योंकि कॉलिज लाइफ में अगर लड़कों के लिए गर्ल फ्रेंड का होना शान की बात है तो लड़की का बॉय फ्रेंड होना उसकी पर्सनैलिटी में चार चांद लगाने के लिए जरूरी है. स्थितियां इस कदर बिगड़ती जा रही हैं कि माँ ही बेटी के होने वाले पति को लेकर भाग रही है. लव मैरिज करने वाली अपने प्रेमी पति से ही अलग नया प्रेमी ढूंढ रही हैं और प्रेमी पति के टुकड़े काटकर ड्रम मे भर रही हैं. 4-4  बच्चे वाली अपने बच्चों के साथ या बच्चों को छोड़कर घर से भाग रही हैं, लड़कियां लड़कों से भी छोटे शॉर्ट्स पहनकर सडकों पर हुड़दंग मचा रही हैं और कुंवारी लड़कियाँ ही नहीं शादीशुदा लडक़ियां, दो दो बच्चों की माँ भी शॉर्ट्स टी शर्ट पहने खुलेआम सडकों पर घूम रही हैं और ऐसा नहीं है कि ये अनपढ़, गँवार लड़कियां कर रही है बल्कि ऐसी शर्मनाक घटनाओं को अंजाम वे लड़कियां दे रही हैं जो कहने के लिए वेल क्वालिफाइड हैं, कहने के लिए अच्छे संस्कारी घरों की सन्तान हैं, कहने के लिए बड़ी बड़ी सभाओं में मंच से बढ़ चढ़कर संस्कारों की बातें करती हैं किन्तु व्यक्तिगत जीवन में इनके बिल्कुल विपरीत आचरण दिखाई दे रहे हैं. समाज और वह भी भारतीय हिन्दू समाज आज रोजाना घटित इन नृशंस घटनाओं को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि पतन की ओर ही जा रहा है. आज की लड़कियां सशक्तिकरण की जो मिसाल कायम कर रही हैं वह उनका यही एटीट्यूड दिखाती है - 

" वहम निकाल देना ये अपने दिमाग से, 

हम डरने वाले नहीं हैं किसी के बाप से...!!" 


द्वारा 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 




गुरुवार, 1 मई 2025

शादी के समय मिले सोने पर किसका हक

 



 केरल हाइकोर्ट ने हाल ही में शादी में दुल्हन को मिलने वाले सोने को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। केरल हाइकोर्ट ने कहा है कि शादी के समय दुल्हन को मिले सोने के आभूषण और नकद महिला की विशेष संपत्ति हैं। उच्च न्यायालय के मुताबिक इन संपत्तियों को 'स्त्रीधन' माना जाएगा।

प्रस्तुति 
शालिनी कौशिक 
एडवोकेट 
कैराना (शामली) 

हिन्दू संस्कार-हिमानी नरवाल

  


     पहलगाम अटैक में धर्म पूछकर गोली से मारे गए करनाल निवासी नेवी के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी द्वारा सभी देश वासियों से शांति की अपील की गई है। गुरुवार को लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की जयंती थी उस पर विनय के परिवार द्वारा ब्लड डोनेशन कैम्प लगाया गया जिसमें मीडिया द्वारा बात करने पर विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल ने कहा कि हमें मुस्लिमों और कश्मीरियों को टारगेट नहीं करना चाहिए। हम शांति चाहते हैं, किन्तु 6 दिन पूर्व ही हुई शादी का ऐसा दर्दनाक अंत उनके गुस्से को दबा नहीं सका, उन्होंने यह भी कहा कि इस हमले में शामिल लोगों को सख्त सजा मिले। हिमांशी नरवाल ने कहा, 'इस हमले में जो लोग शामिल हैं, इन्हें सख्त सजा दी जाए। लेकिन हमें मुस्लिमों और कश्मीरियों को टारगेट नहीं करना है।' 

ये होती है एक हिन्दू की सोच - इस छोटी सी बच्ची ने एक मुस्लिम के हाथों बिना किसी रंजिश के, बिना किसी तकरार के अपने 6 दिन पहले पति हुए विनय नरवाल का खून बहते देखा और उसके बाद भी ये इतनी बड़ी बात दिल से कह गई, ये श्री राम की भक्ति की शक्ति ही है जो हर हिन्दू को यह ताकत प्रदान करती है कि वह अपने कड़े से कड़े दुश्मन को भी माफ कर सके. भगवान इस बेटी को यह गहरा दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें और कभी भी किसी भी बेटी के साथ ये अन्याय न करें - जय श्री राम जय हनुमान 🌹🌹🚩 

द्वारा - 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट

कैराना (शामली) 

सोमवार, 14 अप्रैल 2025

महिला हित में अनिवार्य हुआ विवाह पंजीकरण

  


Shalini kaushik law classes - link ⬇️

 विवाह पंजीकरण अब सभी के लिए अनिवार्य 

      हमारा देश परम्परा वादी है, यहां हर धार्मिक अनुष्ठान पारंपरिक रीति-रिवाजों से ही होते आए हैं, और इन्हीं परंपराओं और धार्मिक रीति रिवाज से बंधा हुआ है भारत में विवाह अनुष्ठान, जो परिवार और समाज के लोगों के मध्य अनुष्ठापित किया जाता है जिस कारण यहां शादी का पंजीकरण कराना जरूरी नहीं समझा जाता. आम धारणा यह है कि विदेश में जाने वाले जोड़ों और सिर्फ स्पेशल मैरिज एक्ट यानी विशेष विवाह अधिनियम के तहत की गई शादियों का ही पंजीकरण अनिवार्य होता है।

  इसीलिए अब यह जानना सभी के लिए जरूरी है कि शादी का पंजीकरण करवाना हर विवाहित जोड़े के लिए अब आवश्यक है। हमारे देश में शादी को हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 या विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अंतर्गत पंजीकृत किया जाता है और मैरिज सर्टिफिकेट इस बात का वैध कानूनी सबूत होता है कि दंपति विवाहित हैं। हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत वर के लिए न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष और वधु के लिए 18 वर्ष है। वहीं, विशेष विवाह अधिनियम के तहत दोनों लिए न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष है। विवाह रजिस्ट्रेशन या विवाह पंजीकरण भारत में जरूरी सम्भव हुआ है माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश से. माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा फ़रवरी 2006 में फ़ैसला दिया गया था कि भारत में सभी धर्मों के विवाहों का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है. यह फ़ैसला लेने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों की रक्षा थी. इस फ़ैसले के तहत, सभी राज्य सरकारों को तीन हफ़्तों के अंदर इस संबंध में नियम बनाने का निर्देश दिया गया था. जिसमें निम्न जानकारी सभी राज्य सरकारों को उपलब्ध करानी थी-

🌑 विवाह रजिस्ट्रेशन कराने के लिए नियम बनाने से पहले आम जनता से मांगी गई आपत्तियां।

🌑 विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए नियम बनाने के बाद, राज्य सरकारों को जारी की गई उचित अधिसूचना। 

🌑 विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए कानूनी रूप से नियुक्त अधिकारी। 

🌑 विवाह रजिस्ट्रेशन में वर वधू की आयु और वैवाहिक स्थिति का बताया जाना। 

🌑 विवाह रजिस्ट्रेशन न कराने पर या ग़लत घोषणा पत्र दाखिल करने पर विधिक परिणाम या कानूनी कार्रवाई के बारे में भी प्रावधान करना।

          यह सभी प्रावधान करने का मुख्य कारण एक निर्णय था, जिसे माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा महिला हितार्थ लिया गया था. सिविल वाद में स्थानांतरित याचिका श्रीमती सीमा बनाम अश्विन कुमार (291) मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पूरे भारत में विवाह पंजीकरण अनिवार्य किया गया.  

प्रस्तुत मामला हरियाणा जनपद न्यायालय की ओर से विवाह पंजीकरण के मुद्दे पर याचिका थी जो राज्यों का मुद्दा थी । अलग अलग राज्यों में विवाह के संबंध में अलग-अलग नियम थे और इस मामले में सम्बन्धित राज्यों के विवाह अधिनियमों का उपयोग किया गया जैसे कि कर्नाटक विवाह (पंजीकरण और विविध प्रावधान) अधिनियम, 1976; असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935;  बॉम्बे विवाह पंजीकरण अधिनियम, 1953; हिमाचल प्रदेश विवाह पंजीकरण अधिनियम, 1996; आंध्र प्रदेश अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम, 2002: उड़ीसा मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1949। इन सभी को विचारार्थ ग्रहण करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 14 फरवरी 2006 को निर्णय लिया गया और सभी राज्यों को विवाहों को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने और 3 महीने में पंजीकरण की प्रक्रिया के साथ वापस आने के निर्देश दिए गए।

➡️ निर्णय के प्रमुख घटक-

🌒 14 फ़रवरी 2006 को निर्णय देते हुए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में निम्नलिखित मुद्दे प्रमुख रहे - 

🌒 सर्वप्रथम सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं का निर्णय लेने का अधिकार उल्लिखित किया। 

🌒 सर्वोच्च न्यायालय ने विवाह में दुर्व्यवहार और बाल विवाह को कम करने के लिए विवाह के पंजीकरण आवश्यक स्थान दिया। 

🌒 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निम्नलिखित कार्य करने का निर्देश जारी किया गया - 

 🌑"(i) पंजीकरण की प्रक्रिया आज से तीन महीने के भीतर संबंधित राज्यों द्वारा अधिसूचित की जानी चाहिए। यह मौजूदा नियमों में संशोधन करके, यदि कोई हो, या नए नियम बनाकर किया जा सकता है। हालांकि, उक्त नियमों को लागू करने से पहले आम जनता से आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी। इस संबंध में, राज्यों द्वारा उचित प्रचार किया जाएगा और आपत्तियां आमंत्रित करने वाले विज्ञापन की तारीख से एक महीने तक मामले को आपत्तियों के लिए खुला रखा जाएगा। उक्त अवधि की समाप्ति पर, राज्य नियमों को लागू करने के लिए उचित अधिसूचना जारी करेंगे।

🌑 (ii) राज्यों के उक्त नियमों के तहत नियुक्त अधिकारी विवाहों को पंजीकृत करने के लिए विधिवत अधिकृत होंगे। आयु, वैवाहिक स्थिति (अविवाहित, तलाकशुदा) स्पष्ट रूप से बताई जाएगी। विवाहों का पंजीकरण न कराने या गलत घोषणा दाखिल करने के परिणाम भी उक्त नियमों में दिए जाएंगे।

🌑 यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि उक्त नियमों का उद्देश्य इस न्यायालय के निर्देशों का पालन करना होगा।

🌑 (iii) जब भी केन्द्रीय सरकार कोई व्यापक कानून बनाएगी, उसे जांच के लिए इस न्यायालय के समक्ष रखा जाएगा।

🌑 (iv) विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के विद्वान वकील यह सुनिश्चित करेंगे कि यहां दिए गए निर्देशों का तत्काल पालन किया जाए।

➡️ उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण-

🌑 उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण साल 2017 महिला कल्याण विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों के पालन में अगस्त 2017 में लागू किया गया . इस नियम के तहत, उत्तर प्रदेश में होने वाली सभी शादियों का पंजीकरण कराना ज़रूरी कर दिया गया है।  

➡️ क्यों ज़रूरी माना विवाह पंजीकरण? 

🌒 बाल विवाह रोकने के लिए। 

🌒 विधवाओं को उत्तराधिकार का दावा करने में सक्षम बनाने के लिए। 

🌒 महिलाओं को पति से भरण-पोषण और बच्चों की अभिरक्षा के अपने अधिकारों का प्रयोग करने में सहायता करना। 

🌒 द्विविवाह या बहुविवाह की जांच करने के लिए

🌒 पतियों को अपनी पत्नियों को छोड़ने से रोकने के लिए। 

➡️ पंजीकरण प्रक्रिया-

🌒 उत्तर प्रदेश में विवाह का पंजीकरण हिन्दू विवाह अधिनियम (1955) या विशेष विवाह अधिनियम (1954) के तहत होता है. 

🌒 आप अधिकारिक वेबसाइट igrsup.gov.in पर जाकर ऑनलाइन पंजाकरण कर सकते हैं. 

🌒 पंजीकरण के बाद, विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा. 

🌒 यूपी विवाह प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए, वर और वधू दोनों के आधार नंबर की आवश्यकता होती है.

🌒 पंजीकरण ऑनलाइन या ऑफ़लाइन किया जा सकता है. 

🌒 ऑनलाइन पंजीकरण के लिए, igrsup.gov.in वेबसाइट पर जाएं. 

🌒 ऑफ़लाइन पंजीकरण के लिए, संबंधित विवाह पंजीकरण कार्यालय में जाना होता है. 

🌒 जो युगल शादी कर रहे हैं या पहले से शादीशुदा हैं, वे कोर्ट मैरिज करके अपनी शादी का पंजीकरण करा सकते हैं:

🌑 चरण-1 सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के कार्यालय में जाएं, जिसके अंतर्गत विवाह हुआ है या जहां दंपति रहते हैं।

🌑 चरण-2 आवेदन पत्र भरें और इस पर पति-पत्नी दोनों हस्ताक्षर करें। आवेदन के दिन ही जमा किए गए सभी दस्तावेजों का सत्यापन किया जाता है। सत्यापन पूरा होने के बाद अप्वॉइंटमेंट के लिए एक दिन तय किया जाता है।

🌑 चरण-3 यदि विवाह, विशेष विवाह अधिनियम के तहत हो रहा है, तो इसमें लगभग 60 दिन लग सकते हैं और हिंदूू विवाह अधिनियम के मामले में, आवेदन के बाद अप्वॉइंटमेंट की तारीख मिलने में लगभग 15 दिन लगेंगे।

🌑 चरण-4 दंपति में से किसी भी पक्ष का कोई भी व्यक्ति, जो विवाह के समय उपस्थित था, विवाह का गवाह हो सकता है। अप्वॉइंटमेंट के दिन, दोनों पक्षों और उनकी शादी में शामिल हुए गवाहों को उपस्थित रहना होगा। विवाह के पंजीकरण के लिए ऑनलाइन विकल्प भी उपलब्ध है। आप अपने राज्य की पंजीकरण वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर  सकते हैं।

➡️ पंजीकरण हेतु ज़रूरी दस्तावेज़-

* आवेदन फॉर्म 

• शादी का कार्ड 

• आयु प्रमाण 

• निवास का प्रमाण 

• पासपोर्ट साइज फोटो 

• 10 रुपये के स्टाम्प पेपर पर निर्धारित प्रारूप में पति और पत्नी दोनों की ओर से अलग-अलग शपथ पत्र। जिसमें सभी जरूरी विवरण हों और जो नोटरी द्वारा सत्यापित हो. 

• यदि पति-पत्नी में से कोई एक तलाकशुदा है तो तलाक का आदेश। 

• यदि पिछले पति या पत्नी की मृत्यु हो गई हो तो मृत्यु प्रमाण पत्र। 

• विवाह के बाद नाम बदलने पर सरकारी राजपत्र की प्रति। 

• यदि पति या पत्नी में से कोई एक विदेशी नागरिक है, तो वैवाहिक स्थिति प्रमाण पत्र। 

• गवाह के लिए भी अपना पैन कार्ड और निवास प्रमाण पत्र जमा करना जरूरी और गवाह दो होने जरूरी। 

➡️ पंजीकरण का मह्त्व-

🌒 विवाह पंजीकरण कराए जाने पर एक प्रमाण पत्र प्राप्त होता है जिसे मैरिज सर्टिफिकेट कहा जाता है.  मैरिज सर्टिफिकेट एक आधिकारिक दस्तावेज होता है जो रजिस्टार के द्वारा जारी किया जाता है, जिसमें तारीख और स्थान के साथ विवाह प्रक्रिया को प्रमाणित किया जाता है ।

🌒 विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र, दंपति के विवाहित होने का कानूनी सबूत होता है.

🌒 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए सभी धर्मों के लोगों के लिए शादी के पंजीकरण को अनिवार्य बना दिया था.

🌒 अगर आप पति के वीजा पर विदेश यात्रा करना चाहती हैंं।

🌒 संयुक्त स्वामित्व की संपत्ति खरीदते समय और संयुक्त रूप से होम लोन के लिए आवेदन करते समय।

🌒 भारत और अन्य देशें के भी दूतावास, पारंपरिक शादियों को मान्यता नहीं देते हैं। विदेशों में शादी को साबित करने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट अनिवार्य है।

🌒 संपत्ति के उत्तराधिकार के मामले में कानूनी कार्यवाही आसान होती है।

🌒 यदि जमाकर्ता या बीमाकर्ता की मृत्यु हो जाती है, जिसने किसी व्यक्ति को नामित नहीं किया था तो पति/पत्नी पारिवारिक पेंशन या बैंक जमा या जीवन बीमा लाभ का दावा करने में सक्षम होते हैं।

🌒 अगर आपको शादी के बाद अपना नाम बदलना हो या पासपोर्ट के लिए आवेदन करना हो या बैंक खाता खोलना हो।

🌒 यह दस्तावेज पति या पत्नी को अपने जीवनसाथी द्वारा त्यागे जाने से बचाता है।

🌒 संपत्ति के हस्तांतरण या कानूनी अलगाव के मामले में बच्चों की कस्टडी के लिए।

🌒 इसे वैवाहिक विवादों में मजबूत और वैध सबूत के रूप में भी माना जाता है।

       अगर आप उत्तर प्रदेश के निवासी या नागरिक हैं तो विवाह पंजीकरण से संबंधित अन्य जानकारी के लिए जुड़े रहिए मेरे ब्लॉग "कानूनी ज्ञान" से और कोई जिज्ञासा हो तो झटपट कमेन्ट सेक्शन में जाकर पूछ डालिए अपना सवाल, जवाब अवश्य दिया जाएगा. धन्यवाद 🙏🙏

प्रस्तुति 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 





सोमवार, 24 मार्च 2025

महिलाओ का लैंगिक उत्पीड़न है ये

 


     भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 75 लैंगिक उत्पीड़न को दण्डनीय अपराध घोषित करती है. इसमे कहा गया है कि 

➡️धारा 75. लैंगिक उत्पीड़न.- 

(1) ऐसा कोई निम्नलिखित कार्य, अर्थात् :-

(i) शारीरिक संस्पर्श और अग्रक्रियाएं करने, जिनमें अवांछनीय और लैंगिक संबंध बनाने संबंधी स्पष्ट प्रस्ताव अन्तर्वलित हों; या

(ii) लैंगिक स्वीकृति के लिए कोई मांग या अनुरोध करने; या

(iii) किसी महिला की इच्छा के विरुद्ध अश्लील साहित्य दिखाने; या

(iv) लैंगिक आभासी टिप्पणियां करने,

वाला पुरुष लैंगिक उत्पीड़न के अपराध का दोषी होगा।

(2) ऐसा कोई पुरुष, जो उपधारा (1) के खण्ड (i) या खण्ड (ii) या खण्ड (iii) में विनिर्दिष्ट अपराध करेगा, वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

(3) ऐसा कोई पुरुष, जो उपधारा (1) के खण्ड (iv) में विनिर्दिष्ट अपराध करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

            दो दिन पूर्व ही बॉम्बे हाई कोर्ट अपने निर्णय में कहा कि किसी महिला सहकर्मी के बालों के बारे में टिप्पणी करना और उस पर गीत गाना कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता और यह कहते हुए एचडीएफसी बैंक के अधिकारी को राहत दे दी. 

           इससे एक दिन पूर्व ही इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दुष्कर्म के प्रयास के आरोपी को राहत देते हुए विवादित निर्णय दिया गया जिसने पूरे देश में महिला आयोग और महिला मंत्रियों तक को महिलाओं की सुरक्षा हेतु आवाज़ उठाने के लिए विवश कर दिया. पीड़िता का ब्रेस्ट पकड़ना और नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म या दुष्कर्म का गम्भीर प्रयास माना जाएगा या नहीं, इस पर तो बहस सारे देश में छिड़ी हुई ही थी, साथ ही, अब बहस "लैंगिक उत्पीड़न क्या है?" पर भी छिड़ने जा रही है.

➡️ लैंगिक उत्पीड़न क्या है - 

     लैंगिक उत्पीड़न, यौन प्रकृति का कोई भी अवांछित व्यवहार है जिससे किसी व्यक्ति को अपमानित, भयभीत या असुरक्षित महसूस हो. यह लैंगिक असमानता का एक रूप है. यह भेदभाव और हिंसा का भी एक रूप है. 

➡️लैंगिक उत्पीड़न के कुछ उदाहरण: 

*किसी को गलत तरीके से घूरना या तिरछी नज़र से देखना

*किसी की शारीरिक विशेषताओं या तौर-तरीकों के बारे में लिंग-संबंधी टिप्पणी करना

*किसी को धमकाने के लिए यौन या लिंग-संबंधी टिप्पणी या आचरण का इस्तेमाल करना

*यौन अफ़वाहें फैलाना

*यौन प्रस्ताव देना

*यौन चुटकुले सुनाना

*अश्लील साहित्य दिखाना

*किसी को कामुक या लिंग-विशिष्ट तरीके से कपड़े पहनाना

*किसी को डराने-धमकाने वाला माहौल बनाना

➡️लैंगिक उत्पीड़न का दुष्प्रभाव-

लैंगिक उत्पीड़न किसी भी लिंग, यौन अभिविन्यास, जाति, जातीयता, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, या धर्म के लोगों को प्रभावित कर सकता है. 

        अब जब हम भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 75(1) की उपधारा (iv) का अवलोकन करते हैं तो पाते हैं कि उसमे (iv) लैंगिक आभासी टिप्पणियां करने वाले पुरुष को लैंगिक उत्पीड़न के अपराध का दोषी माना गया है और जब हम लैंगिक उत्पीड़न के कुछ उदाहरण देखते हैं तो उसमें किसी की शारीरिक विशेषताओं या तौर-तरीकों के बारे में लिंग-संबंधी टिप्पणी करने को लैंगिक उत्पीड़न कहा गया है. 

    अब एक नजर प्रस्तुत मामले में निर्णय की ओर ले जाते हैं जिसमें जस्टिस संदीप मानें ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप सही भी माने जाएं, तो भी उनसे यौन उत्पीड़न पर कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। पुणे स्थित एचडीएफसी बैंक के एसोसिएट क्षेत्रीय प्रबंधक विनोद कछावे को बैंक की आंतरिक शिकायत समिति ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून के तहत कदाचार का दोषी ठहराया था। वहीं, याची के वकील ने कहा, कछावे ने महिला से सिर्फ यही कहा था कि वह बाल संवारने के लिए जेसीबी का इस्तेमाल कर रही होगी।

     ऐसे में एक महिला के बालों को उसकी शारीरिक विशेषता के रूप में स्वीकार करते हुए जब लैंगिक उत्पीड़न के उदाहरण इस टिप्पणी को लैंगिक उत्पीड़न की भाषा में शामिल कर रही है तो बॉम्बे हाई कोर्ट का यह निर्णय भी उसी तरह से विवादास्पद कहा जाना चहिये जिस तरह से इलाहाबाद हाई कोर्ट का दुष्कर्म के प्रयास को नकारने का निर्णय विवादों की एक कड़ी बनकर रह गया है. 

     पुरुषों द्वारा महिलाओं पर लैंगिक टिप्पणी करना उनकी रोज की आदत में शुमार है और फिर जब महिला उनकी सहकर्मी हो तो यह एक तरह से वे अपने हक में शामिल कर लेते हैं. अभी हाल ही में दिल्ली विधान सभा के चुनाव में एक राजनेता रमेश बिधूड़ी कहते हैं, 'लालू ने वादा किया था कि बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों जैसा बना दूंगा, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, जैसे ओखला और संगम विहार की सड़कें बना दी हैं, वैसे ही कालकाजी में सारी की सारी सड़कें प्रियंका गांधी के गाल जैसी बना दूंगा।' 

       इस तरह अगर न्यायालयों द्वारा महिला के सम्मान पर हुए लैंगिक टिप्पणी के मुद्दे को यूँ ही हल्की बात समझकर हवा में उड़ाया जाता रहा तो महिलाओं के लिए सार्वजनिक जीवन में उतरकर कार्य करना बहुत ही कठिन हो जाएगा. अपने सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले के खिलाफ उतरना एक महिला के लिए, वो भी जब वह भारतीय हो, बहुत मुश्किल होता है. रूपम देओल बजाज होना और के पी एस गिल जैसे बड़े अधिकारी को सजा दिलवाना आसान नहीं होता, इसके लिए न्याय व्यवस्था का महिला के साथ मजबूत सहयोग जरूरी है. 

द्वारा 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली)