बुधवार, 25 जुलाई 2012

''वन्देमातरम ''.मत कहना क्या कोई धर्म सिखाता है ?



''वन्देमातरम ''.मत कहना क्या कोई धर्म सिखाता है ?

जो  ''वन्देमातरम '' नहीं  गा  सकता  वो सच्चा  हिन्दुस्तानी  कहलाने  के काबिल  ही  नहीं .''वन्देमातरम'' कहते  ही ह्रदय  भर  आता  देश  भक्ति  के भाव से .इस राष्ट्रीय गीत में वो ज़ज्बा छिपा है जिसने  ब्रिटिश  हुकूमत  की  जड़ों  को उखाड़ फेंकने में स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया .ये गीत है जन्म भूमि  की  उज्जवल  महिमा  को चहुँ दिशा में प्रसारित करने वाला .कोई धर्म नहीं जो माँ व्  संतान के बीच  आये और संतान को माँ की महिमा गाने से रोक  दे .भ्रमित विचारधाराओं वाले भारत माँ की संतानों  के लिए ही लिखा है यह गीत मैंने -
जो नहीं कृतज्ञ   माँ का है ; जिसको नहीं जन्मभूमि से नेह  ,
माँ के 
चरणों  
में सकल सुख ; जिसको हो इस पर ही संदेह ,
वो पढ़े  -सुने इस कविता को मन का मैल धुल जाता है ,
माँ का वंदन जिह्वा  से नहीं  ह्रदय से गया जाता है .
जिस  शस्य -श्यामला माटी  में खेले  कूदे नाचे गाये ,
जिसने अपनी ले गोद हमें कोमल स्पर्श से सहलाये ,
उसका वंदन करने से पूर्व क्या इतना सोचा जाता है ?
माँ का वंदन जिह्वा ........
श्वासों में बसती है सौरभ  जिसकी सौंधी इस माटी की ,
जिस पर प्रवाहित सरिता जल प्यास मिटाता हम  सब की ,
उपकारी माँ का वंदन कर मन किसका न हर्षाता है ?
माँ का वंदन जिह्वा से ....
सृष्टि की कोई भी सत्ता  माँ की शक्ति से बड़ी नहीं ,
जो रोके माँ के वंदन से जग में ऐसा कोई धर्म नहीं ,
मन की गांठों को खोल जरा अरे !इतना क्यों सकुचाता है .
माँ का वंदन जिह्वा से ...
जन्म भूमि ने हम सब को दिया अन्न जल फल का उपहार ,
नहीं भेद  किया संतानों में बांटा समान सबमे है प्यार ,
'मत करना उसका वंदन तुम ''क्या कोई धर्म सिखाता है ?
माँ का वंदन जिह्वा से नहीं .....
मैं नहीं जानती  ''अल्लाह '' को मैंने  देखा  ''ईश्वर'' को नहीं ,
है जन्मभूमि सर्वस्व मेरा  इस पर जीवन म्रत्यु है यही ,
''वन्देमातरम'' कहते ही उर में आनंद समता है .
माँ का वंदन जिह्वा से नहीं ह्रदय से गया जाता है !!
                              ''वन्देमातरम ''
                जय हिंद ! जय भारत !
               शिखा कौशिक 

5 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

jo vande matram nahi kah sakta uske liye is देश me koi sthan nahi होना चाहिए देश क्या पूरे जहान me nahi होना चाहिए क्योंकि matr भूमि को to swarg se bhi upar sthan sabhi धर्म ग्रंथों me diya gaya hai sarthak prastuti .

Rajesh Kumari ने कहा…

बिलकुल सही कहा जिसके मन में अपनी मात्र भूमि का सम्मान नहीं वो इंसान कहलाने के भी लायक नहीं बहुत अच्छा लिखा शिखा जी

संध्या शर्मा ने कहा…

''वन्देमातरम ''
देशप्रेम से परिपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति...

virendra sharma ने कहा…

नाक भौं सिकोड़तें हैं कि ये अल्लाह ताला का अपमान होगा सिर्फ उसी के आगे सिजदा होता है ,नत मस्तक होतें हैं ये लोग उसी को शीश झुकातें हैं .बढिया प्रस्तुति आपकी .सादर बधाई सादर नमन .

Shikha Kaushik ने कहा…

shalini ji ,rajesh kumari ji ,sandhya ji v veerubhai ji aap sabhi ka aabhar .