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-----भीड़ को भेड सा बनाकर ही तो रख दिया गया है ...समाज का/ शास्त्र/ सदाचरण का व्यक्ति के ऊपर से नियमन हटा कर.... यह निश्चय ही सामयिक समाज, सरकार , बौद्धिक लोगों का दोष व् पाप का परिणाम है....
बेहद भावात्मक प्रस्तुति ...पश्चिम का अनुकरण तो कर रहे हैं पर मानसिकता पाशविक है....पब संस्कृति के भेडिये चीख रहे हैं ...और भेड़ भीड़ में तब्दील है.....
6 टिप्पणियां:
सही कह रहे हैं आप .बहुत सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .आभार. अपराध तो अपराध है और कुछ नहीं ...
ठीक कहा है..
-----भीड़ को भेड सा बनाकर ही तो रख दिया गया है ...समाज का/ शास्त्र/ सदाचरण का व्यक्ति के ऊपर से नियमन हटा कर.... यह निश्चय ही सामयिक समाज, सरकार , बौद्धिक लोगों का दोष व् पाप का परिणाम है....
बेहद भावात्मक प्रस्तुति ...पश्चिम का अनुकरण तो कर रहे हैं पर मानसिकता पाशविक है....पब संस्कृति के भेडिये चीख रहे हैं ...और भेड़ भीड़ में तब्दील है.....
sartha v samyik prastuti .aabhar
AABHAAR
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