गुरुवार, 12 जुलाई 2012

इतिहास में सबसे दुखद सिया-राम का वियोग !


इतिहास  में सबसे  दुखद सिया-राम का  वियोग !

वन  को  चली जब जानकी ;
श्रीराम  हो गए  विह्वल  ,
उर  में  मची  उथल -पुथल ;
हुए  कमल  नयन  सजल  .



मन  में उठी  एक  हूक   सी   ;
कैसे सिया  को रोक  लूँ ?
सीता है स्वाभिमानिनी ;
कैसे उसे लज्जित  करूं ?







नैनों सम्मुख  अनायास  ही 
शिव- धनुष- भंग झांकी सजी ,
वरमाला ले आती हुई 
सुन्दर सुकोमल सिया दिखी  .




छूने को ज्यों  ही आगे  बढे   ;
भ्रम  टूटा एक ठोकर लगी ,
फिर  दौड़कर   लक्ष्मण ने   
थामा ,काल  की अदभुत  गति  .







सीता खड़ी  देखे  उन्हें  ;
कैसा विचित्र संयोग  है !
पहले मिलन  फिर विरह    ;
फिर फिर मिलन वियोग  है  .








जाउंगी  छोड़  प्राण  मैं ;
यही  आपके  चरणों  में  अब  ,
बस  है निशानी  गर्भ  में 
ये  ही  मेरी  संपत्ति सब .






महलों  के  सुख  सब छोड़कर ; 
सम्मान  रक्षा  हित चली 
अब आप धीरज  बांध लें ;
देव  की  इच्छा  बली .


संवाद  नैनों से हुए;
सिया -राम  दोनों  मौन  थे ,
ये क्षीर  सागर  प्रेमी  युगल  ,
क्या  जाने जग ये कौन थे ?

है कैसा प्रस्तर देव उर  ?
जो  रचता  ये दुर्योग  है ,
इतिहास  में सबसे  दुखद  ,
सिया-राम का  वियोग है .





7 टिप्‍पणियां:

virendra sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर विरह वर्रण शिखा जी .'सिया राम मय सब जग जानी ,करूँ प्रणाम जोरी करि पाणी.'

RITU BANSAL ने कहा…

शिखा जी
भाव विभोर कर दिया
सुन्दर प्रस्तुति..

Shalini kaushik ने कहा…

bahut shandar bhavatmak prastuti. ऐसा हादसा कभी न हो

Madan Mohan Saxena ने कहा…

आपने भी क्या खूब ,ये पंक्तियां पढवाई हैं ,
सुंदर शब्दों का चयन , संयोजन कर के लाई हैं ,
दिल से निकली ,रचना ये मन को हमारे भाई है ..
बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/

Unknown ने कहा…

Kya Shikha ji Emotional kar diya ..
sunder panktiyan..

http://yayavar420.blogspot.in/

शिखा कौशिक ने कहा…

aap sabhi ka protsahit karne hetu hardik aabhar .

डा श्याम गुप्त ने कहा…

इतिहास में सबसे दुखद ,
सिया-राम का वियोग है ...सही कहा

--पर हर वियोग ही दुखद होता है ...इसका गुण-मात्रा-विशेषण कहाँ होता है ..