सोमवार, 23 जुलाई 2012

जब तक हरेक भ्रूण के जीवन की रक्षा के लिए उपाय न किए जाएंगे तब तक कन्या भ्रूण रक्षा अभियान अपने अंदर नामुकम्मल ही रहेगा

लोग कन्या भ्रूण हत्या के खि़लाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। यह एक अच्छी बात है कि समाज में प्रचलन के बावजूद इसे एक बुराई के तौर पर देखा जाता है। एक अंदाज़े के मुताबिक हर साल 1 करोड़ से ज़्यादा कन्या भ्रूण मार दिए जाते हैं। इन भ्रूणों में उन की गिनती शामिल नहीं है जिन्हें अपाहिज होने के कारण मार दिया जाता है। यह सलाह देने वाला कोई और नहीं बल्कि डाक्टर ही होता है। हमारी बेटी अनम एक ऐसा ही भ्रूण थी जो कन्या भी थी और अपाहिज भी थी और डाक्टर ने उसे पेट में ही मार देने की सलाह तहरीरी तौर पर दी थी लेकिन हमने उनकी सलाह नहीं मानी और उसे अपने घर में आने दिया। अल्लाह की मर्ज़ी कि वह केवल 28 दिन ही हमारे साथ रह पाई। 22 जुलाई 2010 को वह इस दारे फ़ानी से रहलत फ़रमा गई। वह हमारे दिल में आज भी ज़िंदा है।
उसकी आमद ने हमारे सामने उन करोड़ों भ्रूणों की ज़िंदगी के सवाल को खड़ा कर दिया है जिन्हें हर साल दुनिया भर में महज़ अपाहिज होने के कारण क़त्ल कर दिया जाता है। इसलाम इस कृत्य को निंदनीय मानता है। जब तक हरेक भ्रूण के जीवन की रक्षा के लिए उपाय न किए जाएंगे तब तक कन्या भ्रूण रक्षा अभियान अपने अंदर नामुकम्मल ही रहेगा।

एक आवाज़ बीमार भ्रूण हत्या के खि़लाफ़

3 टिप्‍पणियां:

Shikha Kaushik ने कहा…

aapse sahmat hun .anam ko jeevan dekar aapne manavta ka maan badhaya tha .aapke zazbe ko salam .

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

shukriya.
is aawaaz ko kan kan tak pahunchana hoga taaki auron ka jiwan bhi bachaya ja sake.

Shalini kaushik ने कहा…

aapse poori tarah se sahmat hoon .sarthak post.