सोमवार, 7 मई 2012

मेरे पापा .. तुम्हारे पापा से भी बढ़कर हैं-a short story


मेरे पापा .. तुम्हारे पापा से भी बढ़कर हैं-a short story
Pretty Cute Girl
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   स्कूल  में  भोजनावकाश  के  समय  कक्षा  पांच  के तीन  विद्यार्थी  राजू ,सोहन व् बंटी ने अपने टिफिन बॉक्स खोले और निवाला  मुंह में रखते हुए राजू बोला-''...पता है सोहन मेरे पापा को  मेरी  बहन बिलकुल पसंद  नहीं .पापा कहते हैं कि यदि उसकी जगह भी मेरे भाई होता तो हमारा  परिवार पूरा हो जाता .कल हम दोनों में लड़ाई हो गयी .मेरी गलती थी ....पर पापा ने मेरी बहन के गाल पर जोरदार  तमाचा लगाते हुए कहा-शर्म नहीं आती अपने भाई से लडती है !''.....सोहन बोला-''मेरे पापा तो तुम्हारे पापा से भी बढ़कर हैं कल माँ से कह रहे थे -''यदि इस  बार लड़की  पैदा  की तो घर   से  निकाल दूंगा तुझे  ..तुम  तो जानते  ही  हो मेरे पहले  से ही  तीन छोटी  बहने    हैं .''.....उन    दोनों की बात  सुनकर  बंटी बोला -''...पर मेरे पापा तुम   दोनों के पापा से बढ़कर हैं .मेरी माँ के पेट     में ही  जुड़वाँ  बहनों  को परसों  ख़त्म  करवाकर  आये  हैं .ये  तो अच्छा  हुआ   कि मैं  लड़का  हूँ  वरना  वे  मुझे  भी जन्म न  लेने   देते   ....''  तभी   भोजनावकाश   की समाप्ति  की घंटी  बजी  और 
तीनों  अपनी  अपनी  सीट   पर जाकर  बैठ   गए  .
                 शिखा कौशिक  

9 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

उपज घटाता जा रहा, जहर कीट का बीट |
ज्वार खेत को खा रहा, पापा नामक कीट |

पापा नामक कीट, कीटनाशक से बचता |
सबसे ज्यादा ढीठ, सदा नंगा ही नचता |

रविकर बड़ा महान, किन्तु मेरा जो पापा |
लेता पुत्र बचाय, महज पुत्री को चापा ||

डा श्याम गुप्त ने कहा…

सुन्दर भाव व अभिव्यक्ति----और रविकर की कुन्डली----
----पेश है एक कुन्डली..

आया पर यह कहां से, पापा नामक कीट ।
नाना कर देता अगर उसकी मां को शहीद।
उसकी मां को शहीद,कहां फ़िर मामा होता ,
जग के रिश्ते ताम-झाम भी कुछ ना होता।
चलती कैसे श्याम भला यह जग की माया,
सोचे मन में पापा स्वयं कहां से आया ।।

रविकर ने कहा…

पापा = ज्वार-बाजरा में लगने वाला एक कीड़ा, जो उपज नष्ट कर देता है ।

सादर प्रणाम -
डा श्याम जी ||

Ayodhya Prasad ने कहा…

बहुत गलत करते है जो लड़का - लड़की में भेदभाव रखते है और लड़कियों को दुनिया में आने से पहले ही..

रविकर ने कहा…

होता चर्चा मंच है, हरदम नया अनोखा ।

पाठक-गन इब खाइए, रविकर चोखा-धोखा ।।

बुधवारीय चर्चा-मंच

charchamanch.blogspot.in

Pallavi saxena ने कहा…

हमेशा गलत और बुरी बात का प्रभाव बच्चों पर अच्छी बातों की तुलना में ज्यादा जल्दी पड़ता है इसलिए कोई भी कम करने से पहले उस काम से बच्चों के ऊपर पड़ने वाले प्रभाव को एक बार ज़रूर सोच लेना चाहिए सार्थक रचना ....

virendra sharma ने कहा…

बढ़िया बुनावट है लघु कथा कि जो सत्य कथा है .-माँ की कोख ,बेटी का कब्रिस्तान ,ये है हिन्दुस्तान .कृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.in/
मंगलवार, 8 मई 2012
गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस

udaya veer singh ने कहा…

स्त्री वेदना है ? या वेदना स्त्री है ? समझ नहीं आता / पित्री सत्तात्मक व्यवस्था के प्रणेता आज कितने हर्षोन्माद में होंगे ...उनका दर्शन कितना फला-फुला/ नारी भोग्या बन कर रह गयी ... आज भी कोई पुरसा हाल नहीं ......सकल परिदृश्य यही है -अधर पर कुछ है ,अंतस में कुछ और ..... सराहनीय कथा

Shikha Kaushik ने कहा…

aap sabhi ka hardik dhanyvad .