औषधियों का पर्वत लाकर,
लखन-लाल के प्राण बचाए।
श्री राम से आशिष पाकर ,
वे संकट-मोचन कहलाये |
बचपन में जब सूरज निगला,
लाल गैस का गोला भाया |
टूटा जबड़ा इंद्र -वज्र से,
हनुमान तब नाम कहाया ।
तीव्र वायु की भांति दौड़ते ,
पवन-पुत्र भी कहलाते हैं ।
वानर सेना के नायक वे,
कपीश भी बोले जाते हैं ।
अतुलित बलशाली भी वे हैं ,
औ ज्ञान-गुणों के सागर भी ।
मातु सिया के वर-प्रभाव से ,
हैं ऋद्धि-सिद्धि के नागर भी|
ये अपने बजरंग-बाली हैं,
श्री राम के भक्त दुलारे ।
सब दुष्टों को मार भगाते ,
सीता-राम ह्रदय में धारे ।।
5 टिप्पणियां:
जर हनुमान |
सादर प्रणाम ||
आभार |
बहुत सुन्दर वर्णन ..
जय हनुमान ||
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आत्मविश्वास की महत्ता ..
shayam gupt ji -baal geet bahut sundar hai .badhai .
par bhartiy nari blog par ise prakashit karne ka uddeshay batayen .
धन्य्वाद शिखाजी, रविकर व अयोध्या प्रसाद जी...
---अयोध्या का प्रसाद मिलगया और क्या चाहिये
ताकि महिलायें बच्चों को हनुमान जी के गुण बताकर उन्हें हनुमान के समान सर्वगुण सम्पन्न बनाने का प्रयत्न करें....
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