चूल्हा-चौका कपट-कुपोषण,
मासिक धर्म निभाना होता ।
बीजारोपण दोषारोपण,
अपना रक्त बहाना होता ।।
नियमित मासिक चक्र बना है,
दर्द नारियों का आभूषण -
संतानों का पालन-पोषण,
अपना दुग्ध पिलाना होता ।।
धीरज दया सहनशक्ती में,
सदा जीतती हम तुमसे हैं -
जीवन हम सा पाते तो तुम ,
तेरा अता-पता ना होता ।।
सदा भांजना, धौंस ज़माना,
बेमतलब धमकाना होता ।
बाँह पकड़ कर सीधा करती-
याद जो आता नाना होता ।।
5 टिप्पणियां:
sahi shabd-chitra banaaya hai aapne!...aabhaar!
sundar prastuti
Very nice post.....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.
sarthak post .aabhar
aabhar sunder rachna.
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