यह कहानी है उस एक ‘भारतीय नारी’ की जो पहले सिर्फ महिलाओं के लिये बने एक ऐसे अस्पताल में अपनी कुछ कारस्तानियों के कारण इलाज के लिये सुश्री शिखा कौशिक द्वारा भरती करायी गयी थीं । परन्तु ‘नारी का कविता ब्लाग’ नामक महिलाओं के इस अस्पताल से सुश्री शिखा कौशिक के इस मरीज को धकियाकर बाहर निकाल दिया गया।
सुश्री शिखा जी तिलमिलाकर रह गयीं और उन्होने ऐसी महिला मानसिक रोगियों का इलाज करने के लिये ‘भारतीय नारी ’ नामक एक नये अस्पताल की नींव 23 जुलाई 2011 को रखी और उसमें भरती होने वाली पहली मरीज थी ‘पूनम पाण्डे से पूछे गये कुछ प्रश्न’।
जैसा कि इस सामूहिक ब्लाग पर अंकित था भारतीय नारी के सरोकारों से संबंधित कोई भी सदस्य इसमें प्रतिभाग करने हेतु सदस्यता आवेदन कर सकता था और उसे व्यवस्थापिका महोदया द्वारा सदस्यता लिंक भी प्रेषित किये गये।
इस प्रकार इस सामूहिक चिट्ठे से कुल 34 योगदानकर्ता जुडे जिनमें से 19 महिला सदस्या थी ं और 15 पुरूष सहयोगी। यह स्वाभाविक सा तथ्य है कि किसी भी सामूहिक चिट्ठे से जुडने के उपरांत उसके उत्थान ,प्रसार और गुणवत्ता में सक्रिय सहयोग हेतु प्रत्येक सदस्य का एक समान नैतिक उत्तरदायित्व निर्धारित होता है।
इस प्रकार का नैतिक उत्तरदायित्व निर्वहन करते हुये 15 पुरूष सहभागियों में से 12 ने अलग अलग समय पर कोई न कोई पोस्ट लिखकर इस सामूहिक ब्लाग में अपना सक्रिय योगदान दिया। हांलांकि प्रारंभ में कुछ एक अवसर ऐसे आये जब भारतीय नारी को समर्पित इस ब्लाग पर प्रकाशित इं0 सत्यम शिवम के आलेख आज स्त्री बस वासना की पूर्ति भर है क्या? पर प्रकाशित चित्रों को लेकर वरिष्ठ ब्लागर श्रीयुत दिनेशरायजी द्विवेदी जी द्वारा अपना आर्शिवाद देते समय कुछ ऐसी शब्दावली का प्रयोग किया जो व्यंग्यात्मक सी होने के साथ गहन विचारयुक्त थी। देखेंः-
इस तरह के चित्रों से इस पोस्ट को सुसज्जित करने के आप के साहस को प्रणाम है?
बस इस अर्शिवाद के बाद आदरणीय दिनेशराय जी द्विवेदी फिर कभी इस ब्लाग पर अपना आर्शिवचन देने नहीं आये।
इसी तरह भारतीय नारी पर प्रकाशित नारी देह ब्यापार पर प्रकाशित एक पोस्ट के साथ लगे एक पुलिस महिला के साथ मुहँ छिपाये देह ब्यापार में लिप्त महिलाओं के चित्र पर महिलाओं के सम्मान को बनाये रखने के उद्देश्य से कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियां मैने भी की जिसपर इस ब्लाग की संस्थापक सहित अन्य सुधी पाठकों का सहयोग माँगा परन्तु किसी भी महिला अथवा नारी सम्मान के फरमाबरदारों का कोई संदेश अथवा टिप्पणी नहीं मिली अपितु सम्मानित लेखक महोदय जी ने यह कहा कि मैं उन पुरूषों के चित्र हासिल करूं जो इस ब्यवसाय में लिप्त हैं उन्हें भी स्थान दिया जायेगा।
अपेक्षकृत कुछ कडे शब्दो में प्रतिउत्तर भी प्राप्त हुये। मेरा मानना यह था कि यह सब इस ब्लाग के गुणात्मक विकास के लिये आवश्यक था सो समयानुसार घटित हो रहा था।
इस सामूहिक ब्लाग से जुडे 3 पुरूष साथियों ने इसमें जुडने के बाद अब तक कोई भी पोस्ट इसमें नहीं लगायी है अतः उनका योगदान मात्र इस ब्लाग से जुडने भर तक ही सीमित रहा।
यह आवश्यक नहीं है कि आप किसी सामूहिक चिट्ठे पर नयी पोस्ट लगाकर ही उसमें सहयोग करें । आप प्रकाशित पोस्टों पर टिप्पणी के रूप में अपने अभिमत अंकित करते हुये भी उसके विकास में सहयोग कर सकते हैं परन्तु इस मोर्चे पर भी ये तीन पुरूष साथी कभी नहीं आये ।
इस प्रकार इस सामूहिक ब्लाग पर इसके जन्म के समय से ही इससे जुडने वाले कुछ पुरूष योगदानकर्ताओं ने इसे तिरस्कृत ही किया है ।
आज की चर्चा को यही विराम देते हुये अवगत कराना चाहता हूँ कि अगली चर्चा इस सामूहिक ब्लाग से जुडने वाली महिला योगदानकर्ताओ की होगी जिसमें उनके सक्रिय सहयोग का भी आकलन प्रस्तुत किया जायेगा ।
9 टिप्पणियां:
आप प्रकाशित पोस्टों पर टिप्पणी के रूप में अपने अभिमत अंकित करते हुये भी उसके विकास में सहयोग कर सकते हैं ||
सुन्दर प्रस्तुति पर --
बधाई महोदय ||
http://neemnimbouri.blogspot.com/2011/10/blog-post.html
1- आज कुमार राधा रमण जी की पोस्ट साभार पेश की जा रही है और साथ में एक
फोटो जो मीनाक्षी पंत जी के ब्लॉग से लिया गया है :
प्रसव के बाद माता-पिता में पैदा होने वाला अवसाद
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/10/blog-post_05.html
2- यहां मुसलमान करते हैं रामलीला का आयोजन Indian tradition
http://hbfint.blogspot.com/2011/10/indian-tradition.html
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देह धंधे के आरोप में पकडी गई औरतों की पोस्ट हमने यहां पब्लिश की थी और आपकी आपत्ति के बाद इस ब्लाग की व्यवस्थापिका महोदया ने पुलिस गिरफ्त में मुंह छिपाए हुए उन औरतों के चित्र के बारे में हमसे ईमेल द्वारा बातचीत भी की थी कि क्यों न उस चित्र को हटा दिया जाए ?
लेकिन हमने कहा था कि रावण को हर साल जलाया जाता है और कोई पुरूष यह नहीं कहता कि रावण दहन से पुरूष की मर्यादा कलंकित हो रही है।
भाई उसने काम ऐसे ही किए थे।
जो भी गलत काम करेगा, उसे सरे आम शर्मसार होना ही पडेगा।
समाज के दुराचारियों को शर्मसार करना ही हमारा कर्तव्य है, अब चाहे वह औरत हो या मर्द।
किसी भी गलत तत्व को उसके लिंग के आधार पर बखशा नहीं जाना चाहिए।
धन्यवाद !
Thanks ravikar ji
dr jamaal ji aapki baat poori tarah sach hai lekin meri chinta un purusho ke chehre sarwajanik na hone ke kaaran thi jo is kritya me baraabar ke bhagidar hoye hai.
Aapki sajagta prashanshaneeya hai.
Hme aise purushon ko bhi kalikit kahna aur dikhana chahiye.
Aasha hai anyatha nahi lenge. Mai internet par aapki sakriyata ka kaayal hu. Sachmuch....
N.b.t.par bhi padhata hu
Shukriya .
Please see
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/10/blog-post_05.html
आभार आपका....
इस साझा ब्लाग में मुझे योगदान देने के लिए शुक्रिया.... इस ब्लाग की नींव डलने के बाद से मेरे पास इस ब्लाग के शीर्षक और विषयवस्तु को लेकर कोई स्तरीय पोस्ट नहीं थी जिस वजह से मैं यहां पोस्ट के रूप में अपना योगदान नहीं दे पाया ये सत्य है... लेकिन यह भी सही है कि इस ब्लाग में प्रकाशित रचनाओं पर समय समय पर मेरे कमेंट आते रहते हैं और मैं इस ब्लाग का नियमित पाठक हूं।
काफी बढिया पोस्ट इस ब्लाग के माध्यम से पढने को मिले हैं... आभार एक बार फिर....
विजयादशमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
Thanks atulji.
Aapki tippaniya to aksar mil jaati hai lekin is blog se judi mahilaao ne kya kiya hai iske liye meri agi post jaroor padhiyega.
Mera daawa hai aap chakit huye bagair nahi rahenge.
Thanks once again
Dr anwar ji
maine
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/10/blog-post_05.html
padha lekin aapne usme meri puri baar nahi likhi.
Aise ppurushon ke sambandh me agar ullekh hota. To jyaada achcha lagata.
Us blog ppar comment option nhi hone ke kaaaran yaha likh raha hu.thanks
aur ek baat aur aise mamale me lekhak aur blog ka naam bhi dete to khusshi hoti aakir yeh saamuhik blog aapka bhi to hai.
Punah dhanyawaad.
इस शिशु ब्लॉग को जीवन रक्षक कवच में रखिये .
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