मैने कुछ दिन पहले (भारतीय नारी ब्लाग के सितम्बर माह के विषय ‘मादा भ्रूण हत्या’ को समर्पित एक प्रश्नावली ) पंक्तियां लि
खी थीं
चीखों जैसी किलकारियां
आज pallavi ji ke
मेरे अनुभव ब्लाग पर
एक पोस्ट देखकर बरबस ही उन किलकारियों की आवाज इस पोस्ट से आती हुयी प्रतीत हुयी सो इसके लिंक को आपके साथ साझा कर रहा हूँ
आखिर क्यों ?
किसी एक का सृजन पूज्य है
और दूसरे का त्याज्य ?
किसी का निर्माण वरदान सा हैं
और दूसरे का अभिशप्त !
मेरे अनुभव (Mere Anubhav): एक बार फिर हैवानों की हैवानियत ने किया इंसानियत को...: आप सभी को याद हो अगर तो मैंने बहुत दिनों पहले एक पोस्ट लिखी थी। जिसका शीर्षक था मरती हुई भावनायें। आज यह तस्वीर जो आप ऊपर देख रहे है उस को ...
7 टिप्पणियां:
शर्मनाक है इस तरह की हरकत।
इंसान कहे जाने के लायक नहीं हैं ऐसे लोग।
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! और शानदार प्रस्तुती!
मैं आपके ब्लॉग पे देरी से आने की वजह से माफ़ी चाहूँगा मैं वैष्णोदेवी और सालासर हनुमान के दर्शन को गया हुआ था और आप से मैं आशा करता हु की आप मेरे ब्लॉग पे आके मुझे आपने विचारो से अवगत करवाएंगे और मेरे ब्लॉग के मेम्बर बनकर मुझे अनुग्रहित करे
आपको एवं आपके परिवार को क्रवाचोथ की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! और शानदार प्रस्तुती!
मैं आपके ब्लॉग पे देरी से आने की वजह से माफ़ी चाहूँगा मैं वैष्णोदेवी और सालासर हनुमान के दर्शन को गया हुआ था और आप से मैं आशा करता हु की आप मेरे ब्लॉग पे आके मुझे आपने विचारो से अवगत करवाएंगे और मेरे ब्लॉग के मेम्बर बनकर मुझे अनुग्रहित करे
आपको एवं आपके परिवार को क्रवाचोथ की हार्दिक शुभकामनायें!
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
शर्मनाक--
शुभ-कामनाएं ||
inhe jinda rahne ka hq nahi hai..
is tarah kee ghatnaayen hee to shaayad bhavishy hai bhaarat kaa .
sundar sandarbh , badhaayee
is tarah kee ghatnaayen hee to shaayad bhavishy hai bhaarat kaa .
sundar sandarbh , badhaayee
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