पहले बता किस बहना का बन्धु-भाई है ||
पुरुष- प्रश्न
पुरुष- प्रश्न
कितने अपरचित ले गए
धनिया उखाड़ कर -
धनिया उखाड़ कर -
मैंने छुआ तो मुझको
बाहर भगा दिया ?
बाहर भगा दिया ?
सब्जी बनाई थी
खुश्बू भी आ सके --
खुश्बू भी आ सके --
ऐ बेमुरौवत
क्यों ठोकर लगा दिया |
क्यों ठोकर लगा दिया |
स्त्री -उत्तर
किचेन में तुम्हारी,
तीन पीढ़ी से --
तीन पीढ़ी से --
क्या घर की कोई बेटी,
खाना बनाई है ?
खाना बनाई है ?
तेरी न कोई फुफ्फी,
बाबा-कलाई सूनी --
बाबा-कलाई सूनी --
तूने भी अपने घर
कब राखी मनाई है ?
कब राखी मनाई है ?
भूल जा रे लोलुप,
धनिया नहीं मिलेगी -
पहले बता,
किस बहना का बन्धु-भाई है ??
किस बहना का बन्धु-भाई है ??
6 टिप्पणियां:
bahut achhi rachna
वाह !!! क्या कविता है ...सुंदर ...सन २०२५ में यही होने वाला है .....भविष्य की कविता ''''बधाई ...
--- ज्योतिषियों का धंधा बंद कराना चाहते हो क्या ..
vicharniya
rochak prastuti
badhai :)
jahaan na jaayye ravi wahaan jaaye kavi . badhaayee,priy ravikar ji kuchh aisi hee hogi bhaavee kavitaayee .
jahaan na jaayye ravi wahaan jaaye kavi . badhaayee,priy ravikar ji kuchh aisi hee hogi bhaavee kavitaayee .
आदरणीय श्रीमन !!
तुक-ताल मिला न पाया था |
थोडा सा घबराया था --
इसीलिए अतुकांत का लेबल
कविता पर लगाया था |
बहुत-बहुत आभार ||
एक टिप्पणी भेजें