आड़ इस्लाम की लेकर , देशभक्तों पे निशाना ,
मियां ये खेल है गन्दा ,पड़ेगा तुमको पछताना !
नहीं मिल्लत की ये खिदमत , इसे कहते हैं गद्दारी ,
बड़े शातिर हो मियां तुम , आग आता है लगाना !
सलाम माँ को करने से रोकता है हमें मजहब ,
मियां मासूम मिल्लत को छोड़ दो ऐसे भटकाना !
मोहब्बत छीन दिलों से , उनमे भर रहे नफरत ,
ढूंढ लेते हो मियां रोज़ , नया एक बहाना !
नाम लेकर तू खुदा का ये कैसी चल रहा चालें ?
तुझे मैं याद दिला दूं , खुदा के घर भी है जाना !
तुम्हे पैगाम है मेरा , संभल जाओ मियां जल्दी ,
अमन का मुल्क है भारत , यहाँ दहशत न फैलाना !
न दिल नापाक रख अपना , हिदायत ये भी याद रख ,
मेरे भारत के घर-घर में न पाकिस्तान बनाना !
[ मिल्लत-मुस्लिम समाज ]
मेरा भारत ऐसा है !
RAHUL GANDHI WITH A VISION FOR COMMON PEOPLE |
शिखा कौशिक 'नूतन '
3 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति.मन को छू गयी .आभार . ये गाँधी के सपनों का भारत नहीं .
बहुत सुंदर
इस भावना की कमी दिखाई देती है।
वाह .....क्या कहन है .....काबिले तारीफ़ .... एक सुन्दर गैर रदीफ़ ग़ज़ल...
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