भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता-२
प्रविष्टि नंबर- 1
पुनीता सिंह
एक महिला जो
सदैव मेरे
दिल के
करीब रहीं
हैं वो
वक्त बदल
सकतीं थी,वो दुनिया
क्या पूरा
ब्रहम्मांड बदल सकतीं थी।उन्होने मुझे
बदला परिवार
को कहाँ
से कहाँ
पहुंचा दिया।
खामोश रहना
और सब
कुछ कह
जाना। वो
कभी पत्त्थर
नज़र आतीं
तो कभी
मोम सी
पिघला जातीं।
एक छोटे
से आँचल
में सारा
जहाँ समेटने
का जज्बा
रखतीं थीं
वो ।
ना शब्द
उनके शब्दकोष
में था
ही नहीं।
जी हाँ
वो थी
मेरी जननी
मेरी प्यारी
मां ,जो
अब इस
दुनिया से
बहुत दूर
जा चुकी
हैं। फिर
भी हर
पल मै
उनका साया
अपने करीब
महसूस करतीं
हूँ। उनके
दिए संस्कार,जीवन के
नैतिक नियम
आज भी
मुझे हर
जगह कामयाबी
का परचम
लहराने का
साहस देतें
हैं ।
जब मै
बहुत उदास
होती हूँ
और जीवन
में काफी
अकेलापन महसूस
करतीं हूँ
तो वो
और उनके
बताये रास्ते
ही मुझे
उलझनों से
बाहर निकालने
में मदद
करतें हैं।वो
एक बट-बृ क्ष
के सामान
सबको सिर्फ
छाया प्रदान
करतीं रहीं
और हम
उनसे सिर्फ
लेते रहे
लेते रहे,जब तक
बो जीवित
रही। आज
मै अपने
बच्चों को
उनके दिए
संस्कार दे
रहीं हूँ।
वो देश
के अच्छे
नागरिक बने।वो
डाक्टर ,इंजीनियर,आई पी
एस अधिकारी
बने या
ना बने
वो एक
इंसान जरुर
बन पायेगे
ये मेरा
विशवास है।यह
सबस सम्भव
होगा मेरी
मान की
बजह से।
इअसॆ लिए
शायद कहा
गया है
माँ सिर्फ
माँ ही
नहीं होती
है मानो
तो पूरा
आकाश -जहाँ
होती है।
उसकी हिदायतों
को सहेज
लो ,उसकी
कठोरता को
समझो,सात
पुस्तों तक
जीवन सवँर
जाएगा,मुस्कराएगा
।
5 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति . .बधाई .
saraahanaa keliye dhnybaad
very nice!
Happy Mothers' Day!
dhnyvaad sharikaa mukesh
punita ji bahut achcha likha hai
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