पूनम युग और बेटियों को संस्कार -A SHORT STORY
पूनम युग और बेटियों को संस्कार
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गूगल से साभार |
''मम्मा ....ये देखो ....हा !शेम शेम !''यह कहकर रुमा की पांच वर्षीय बिटिया टिन्नी ने अपनी नन्ही नन्ही हथेलियों से अपना मुंह ढक लिया .रुमा ने उसके हाथ से अख़बार की मैगजीन लेकर देखी तो तो उस पर पूनम पांडे की सेमी न्यूड फोटो छपी थी ...रुमा ने तुरंत मैगजीन मोड़कर रख दी और टिन्नी का ध्यान मेज पर रखे गुलदस्ते के फूलों की ओर लगाते हुए पूछा-''टिन्नी बताओं ...कौन सा फूल सबसे प्यारा है ?''...टिन्नी ने तुरंत गुलाब के फूल को छू दिया ..तभी उनका डौगी टुकटुक टिन्नी के पास आकर पूंछ हिलाने लगा और तिन्नी उसे लेकर फुदकती हुई वहां से गार्डन की ओर चली गयी .....लेकिन टिन्नी फिर से दौड़कर रुमा के पास आकर अपनी कोमल हथेलियों से उसके हाथ पकड़ते हुए बोली -''ममा.. उन आंटी ने कपडे क्यों नहीं पहने ?''रुमा के मन में आया -''इस पूनम पांडे के गोली मार दू !!...अब क्या जवाब दू बच्ची को ?''तभी उसे एक जवाब सूझा.वो बोली -''बेटा ..वो बहुत गरीब है ....उसके पास कपडे नहीं हैं ....कल ही भेज दूँगी ..''....इस बार टिन्नी संतुष्ट नज़र आई और रुमा ने राहत की साँस लेते हुए मन ही मन कहा -''हे भगवन .....इस पूनम युग में बच्चियों की माताओं को साहस दो कि वे अपनी बेटियों में संस्कार भर सकें !''
शिखा कौशिक
6 टिप्पणियां:
माता पर विश्वास ही, भारत माँ की शान ।
संस्कार अक्षुन्न रहें, माँ लेती जब ठान ।
माँ लेती जब ठान, आन पर स्वाहा होना ।
पूनम का ही चाँद, ग्रहण से महिमा खोना ।
बेटी माँ का रूप, शील गुण उसपर जाता ।
नारी शक्ति स्वरूप, सुधारो दुर्गा माता ।।
शिखा जी ..कुछ तो समझाना ही होगा बच्चों को जब बड़े बेशर्म हो जा रहे हैं ..सुन्दर कहानी ..
जय श्री राधे
भ्रमर 5
RAVIKAR JI V SURENDR JI -KEEMTI TIPPANIYON KE LIYE HARDIK AABHAR .
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सुन्दर कथा....
--रविकर की कुन्डलिया भी...
"माँ लेती जब ठान ।" ----यही तो एक उपाय है जो सान्स्क्रितिक-सफ़लता की शत प्रतिशत गारन्टी है ।...अति सुन्दर...
thanks shayam gupt ji .
लघु कथा के माध्यम से आपने अच्छी शिक्षा दी है शिखा जी
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