[google से sabhar ]
कभी आंसू नहीं मेरी आँख में आने देती ;
मुझे माँ में खुदा की खुदाई दिखती है .
लगी जो चोट मुझे आह उसकी निकली ;
मेरे इस जिस्म में रूह माँ की ही बसती है .
देखकर खौफ जरा सा भी मेरी आँखों में ;
मेरी माँ मुझसे दो कदम आगे चलती है .
मेरे चेहरे से मेरे दिल का हाल पढ़ लेती ;
मुझे माँ कुदरत का एक करिश्मा लगती है .
नहीं कोई भी माँ से बढ़कर दुनिया में ;
इसीलिए तो माँ दिल पर राज़ करती है .
शिखा कौशिक
[vikhyat ]
7 टिप्पणियां:
माँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती आपकी खुबसूरत रचना....
सही बात है |
शुभकामनाएं |
hardik dhnyvad sushma ji v ravikar ji .
वाह!
वाह!!!!!!!! क्या बात है....
पूर्ण शब्द मां, पूर्ण ग्रन्थ मां,
शिशु वाणी का प्रथम शब्द मां।
hardik dhanyvad smart indian ji v shayam gupt ji .
नारी ह्रदय की प्यारी सी अनुभूति, वाह.
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