माँ, जहां ख़त्म हो जाता है अल्फाजों का हर दायरा....
Vishaal Charchchit at विशाल चर्चित
इक अति छोटे शब्द पर, बड़े बड़े विद्वान ।
युगों युगों से कर रहे, टीका व व्याख्यान ।
टीका व व्याख्यान, सृष्टि को देती जीवन ।
न्योछावर मन प्राण, सँवारे जिसका बचपन ।
हो जाता वो दूर, सभी सिक्के हों खोटे ।
कितनी वो मजबूर, कलेजा टोटे टोटे ।।
3 टिप्पणियां:
कितनी वो मजबूर, कलेजा टोटे टोटे ।।
very true.....
माँ, जहां ख़त्म हो जाता है अल्फाजों का हर दायरा....
बहुत बेहतरीन लिखा अपने हैं.
sateek v ekdam sach .aabhar
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