सोमवार, 3 जून 2013

ये है मेरा सौभाग्य श्री राम की दासी हूँ मैं ,

Sita : Rama and Sita  

शूल बने फूल हैं , चुभन में भी  मिठास है ,
है मुदित ह्रदय मेरा , मिला प्रभु का साथ है !



जिस शीश सजना किरीट था उस शीश पर जटा बंधी 
चौदह बरस वनवास पर चले प्रिय महारथी  ,
 मैं भी चली उस पथ पे ही जिस पथ पे प्राणनाथ हैं !
है मुदित ह्रदय मेरा , मिला प्रभु का साथ है !



ये है मेरा सौभाग्य  श्री राम की दासी हूँ मैं ,
प्रिय हैं मेरे अमृत सदृश कंठ तक प्यासी हूँ मैं ,
जन्मों-जन्मों के लिए थामा प्रभु का हाथ है !
है मुदित ह्रदय मेरा , मिला प्रभु का साथ है !



वन वन प्रभु के संग चल चौदह बरस कट जायेंगें ,
भैया लखन को साथ ले वापस अयोध्या आयेंगें ,
होगी सनाथ फिर प्रजा जो हो रही अनाथ है !
है मुदित ह्रदय मेरा , मिला प्रभु का साथ है !


शिखा कौशिक 'नूतन '

8 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

bahut sundar aadhyatmik prastuti .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज मंगलवार (04-06-2013) को तुलसी ममता राम से समता सब संसार मंगलवारीय चर्चा --- 1265 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

sushila ने कहा…

प्रभु का साथ मिल जाए तो और क्या चाहिए? सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई !

Unknown ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति बधाई

Shikha Kaushik ने कहा…

aabhar aap sabhi ka

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए बधाई |

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

bhawpurn rachna ...

डा श्याम गुप्त ने कहा…

क्या बात है ...सुन्दर ...