हुक्म देना हक़ है मेरा जान लो बेगम मेरी [do not copy] |
हुक्म देना हक़ है मेरा जान लो बेगम मेरी ,
पर्दे में रखना ये चेहरा जान लो बेगम मेरी !
सिर झुकाकर रहना होगा चारदीवारी में अब ,
रखूंगा मै सख्त पहरा जान लो बेग़म मेरी !
चौक-चूल्हा झाड़ू-बुहारी ये तुम्हारे काम हैं ,
और क्या वज़ूद तेरा जान लो बेग़म मेरी !
जो बग़ावत करने को फन उठाओगी कभी ,
मैं कुचल दूं बन सपेरा जान लो बेग़म मेरी !
हो मेरी अब कैद में फडफडाना छोड़ दो ,
मैं हूँ 'नूतन' अँधा-बहरा जान लो बेग़म मेरी !
शिखा कौशिक 'नूतन'
6 टिप्पणियां:
चौक-चूह्ला झाड़ू-बुहारी ये तुम्हारे काम हैं ,
और क्या वज़ूद तेरा जान लो बेग़म मेरी !
sahi kaha aapne .
शुभप्रभात
वाह !! उम्दा प्रस्तुति
दिल से आभार
हार्दिक शुभकामनायें
सुन्दर प्रस्तुति-
बधाई-
बहुत खूब ... मर्द की दादागिरी पता नहीं कब तक चलेगी ...
सुन्दर प्रस्तुति-
सुन्दर प्रस्तुति-
बधाई-
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