मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

''स्वयं निर्णय लो ''-लघु कथा

 

 ''स्वयं निर्णय लो ''-लघु कथा

''जूली बेटा ये क्या पहना है ?''  माँ ने मिनी स्कर्ट-टॉप पहनकर कॉलेज  जाती सत्रह वर्षीय बिटिया को टोकते हुए कहा . ''मॉम आजकल यही फैशन है .कल मैं सलवार कुरता पहनकर गयी तो मेरी सब फ्रेंड्स मुझसे बोली-आज बहन जी बनकर क्यों आई हो ?......हाउ बैकवर्ड लुकिंग ! '' जूली की माँ उसके कंधें पर हाथ रखते हुए बोली -''बेटा जब मैं पढ़ती थी तब मेरे रहन-सहन पर भी मेरे  साथी छात्र-छात्राएं फब्तियां कसा करते थे पर मैंने कभी इसकी परवाह नहीं की क्योंकि तुम्हारी नानी ने मुझे समझाया था कि आधुनिक हम फैशन के कपड़ों से नहीं बल्कि अपनी सोच व् विचारों से बनते हैं .मैंने सदैव मर्यादित वस्त्र धारण किये .अब तुम स्वयं निर्णय लो कि तुम्हे क्या पहनना  चाहिए ?''ये कहकर जूली की  माँ अपना स्टेथोस्कोप लेकर अपने क्लिनिक के लिए निकल गयी !
                              शिखा कौशिक 'नूतन'

6 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

.भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आपकी कहानी आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें दादा साहेब फाल्के और भारत रत्न :राजनीतिक हस्तक्षेप बंद हो . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1

साहित्य और समीक्षा डॉ. विजय शिंदे ने कहा…

संक्षिप्त और मार्मिक कहानी। लडकी हो लडका सोचे-समझे हम बर्ताव अपने मन से रखे दोस्तों के कहने से नहीं। अपना मन जो बताएं वहीं करें। दोस्त टिप्पणियां कर रहे हैं इसीलिए कपडे कम पहनना शारिरिक नंगेपन के साथ मन और बुद्धि का भी नंगापनहै।
मन की आधुनिकता की बात अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानी जा सकती है।

राहुल ने कहा…

बहुत सटीक कहानी ..

डा श्याम गुप्त ने कहा…

सटीक... सतसैया के दोहरे ...

Shikha Kaushik ने कहा…


टिप्पणी हेतु हार्दिक आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

BHARTIY NARI
PLEASE VISIT .

Aditi Poonam ने कहा…

सच ही तो है विचारों की आधुनिकता महत्त्व पूर्ण है......आभार....