लाडो मेरी कली गुलाब ,
खिलने को है वो बेताब ,
कैसे उसको समझाऊं मैं ?
दुनिया की नज़रे तेजाब !
महकाऊँ गुलशन ये सारा ,
घडी घडी देखे है ख्वाब ,
है मासूम नहीं मालूम ,
दुनियावी भँवरे हैं ख़राब !
कैसे उसको समझाऊं मैं ?
दुनिया की नज़रे तेजाब !
अल्हड़ है नादान है ,
रखती केसरिया आबोताब ,
बेपरवाह है नहीं जानती ,
कब हो जाये वो बर्बाद ?
कैसे उसको समझाऊं मैं ?
दुनिया की नज़रे तेजाब !
लाडो सुन ले यही मुफ़ीद ,
दबा ले दिल की सभी मुराद ,
नोंच न लें कहीं दुनियावाले ,
कहीं मसल दे तेरा शबाब !
कैसे उसको समझाऊं मैं ?
दुनिया की नज़रे तेजाब !
कांधला [शामली ] में हुए तेजाबी हमले की शिकार चारों बहनों व् उनकी माता जी का रो -रोकर बुरा हाल है .अब तक कोई भी हमलावर पकड़ा नहीं गया है .माता जी का कहना है कि पीड़ित बेटियां खौफ में है और पुलिस द्वारा कोई सुरक्षा अब तक नहीं प्रदान की गयी है .इस निठ्ठ्लेपन को धिक्कार है !!
शिखा कौशिक 'नूतन'
4 टिप्पणियां:
ufffffffffff!!!!!!!!!!!
इसके बाद भी यह वहशी इंसान होने का दंभ भरते हैं....मर्म को छू गयी रचना
sach hai ...samvednaaye n jaane kase ma gain hain
bahut sahi bhav vyakt kiye hain shikha ji .
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