बुधवार, 3 अप्रैल 2013

एक पुरुष पर विश्वास और बलात्कृत लड़की !-एक लघु कथा





 कोर्ट मैरेज कर  ज्यों  ही पवित्रा व्  प्रभात रजिस्ट्रार ऑफिस से बाहर आये  विभिन्न टी.वी.  चैनलों के संवाददाताओं ने उन्हें घेर लिया .सभी उन्हें बधाई देने लगे .मून चैनल के संवाददाता ने अपने कैमरामैन से कैमरा उन दोनों पर फोकस करने का इशारा करते हुए अपना माइक प्रभात की ओर करते हुए प्रश्न पूछा -'' प्रभात जी एक बलात्कार पीडिता से विवाह कर उसके जीवन में आशा का संचार करने का आत्म विश्वास आपमें कैसे जागा ?'' प्रभात थोड़े सख्त लहजे में बोला -'' आप लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ कहलाते हैं पर आप में इतनी भी संवेदना नहीं कि आप एक स्त्री को खुलेआम बार-बार  ''बलात्कार-पीडिता''  कहकर उसकी गरिमा की धज्जियाँ उड़ाते हैं .मेरी पत्नी का नाम पवित्रा है उसे इसी नाम से संबोधित करें और रही बात आत्म विश्वास की तो ये पवित्रा का मुझ पर अहसान है कि उसने एक पुरुष पर विश्वास कर विवाह-निवेदन को स्वीकार किया अन्यथा जंगली कुत्तों के जैसे पुरुषों की दरिंदगी का शिकार होने के बाद कौन लड़की किसी पुरुष पर विश्वास कर सकेगी ?'' यह कहकर  प्रभात ने पवित्रा का हाथ पकड़ा और भीड़ को  चीरता हुआ वहां से निकल लिया !

       शिखा कौशिक 'नूतन '

5 टिप्‍पणियां:

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

सुन्दर पोस्ट /लघुकथा |

yashoda Agrawal ने कहा…

इसे कहते हैं
ईंट का जवाब
अच्छी कथा
सादर

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

सच है आज पुरुष पर विश्‍वास करना मुश्किल होता जा रहा है।

Jyoti khare ने कहा…


सार्थक प्रस्तुति---अद्भुत
बहुत बहुत बधाई

vandana gupta ने कहा…

गज़ब …………आज यही सोच जागृत होनी जरूरी है ………सार्थक लेखन