बुधवार, 17 अप्रैल 2013

कौन मजबूत? कौन कमजोर ?

 
इम्तिहान
एक दौर
चलता है जीवन भर !
सफलता
पाता है कोई
कभी थम जाये सफ़र !
कमजोर
का साथ
देना सीखा,
ज़रुरत
 मदद की
उसे ही रहती .
सदा साथ
नर का
देती रही ,
साया बन
संग उसके
खड़ी है रही ,

परीक्षा की घडी
आये पुरुष की
नारी बन सहायक
सफलता दिलाती ,
मगर नारी
चले मंजिल की ओर
पीछे उसके दूर दूर तक
वीराना रहे ,
और अकेली
वह इम्तिहान में
सफलता पाती !
फिर कौन मजबूत?
कौन कमजोर ?
दुनिया क्यों समझ न पाती ?




    शालिनी कौशिक 

7 टिप्‍पणियां:

Shikha Kaushik ने कहा…

bahut sarthak prastuti .aabhar

विभूति" ने कहा…

गहन अभिवयक्ति......

आनन्द विक्रम त्रिपाठी ने कहा…

अच्छी रचना ......दोनों को एक दूसरे का साथ देना होगा ।

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

पलायनवादी हमेशा कमज़ोर होता है !

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

सुन्दर रचना |

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

शकुन्‍तला शर्मा ने कहा…

बहुत सुन्‍दर रचना.

सारिका मुकेश ने कहा…

कडुवा सच कहा है आपने...सफल पुरुष के पीछे हमेशा किसी नारी का योगदान रहता है...कुछ ही पुरुष सफल महिलाओं के पीछे होंगे....
इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें...