शनिवार, 13 अप्रैल 2013






अज्ञानता


बाँटने थे हमें
सुख-दुःख
अंतर्मन की
कोमल भावनाएं
शुभकामनाएं और अनंत प्रेम
पर हम
बँटवारा करने में लग गए
जमीन पानी आकाश हवा
और
लडते रहे
उन्हीं तत्वों के लिए
जो अंततः
साबित हुए मूल्यहीन.                                

12 टिप्‍पणियां:

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रचना है |बधाई नव वर्ष की और शुभ कामनाएं |
आशा

Unknown ने कहा…

अप्रतिम! क्षणिका में जीवन का सार भर दिया आपने। बधाई!

Pratibha Verma ने कहा…

बहुत सुन्दर....
पधारें "आँसुओं के मोती"

Shikha Kaushik ने कहा…

सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

इंसानों और इंसानियत से ज्यादा वस्तुओं को मान देने लगे हम..... सुंदर पंक्तियाँ

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

parlaukikta ko talash karti darshnik prastuti

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत बढ़िया भावपूर्ण प्रस्तुति,आभार,
Recent Post : अमन के लिए.

डा श्याम गुप्त ने कहा…

अच्छी भावपूर्ण प्रस्तुति है ..... परन्तु जिन तत्वों की बात कही गयी है वे भी मूल्यहीन नहीं हैं .. जब तक हम उनका बंटवारा नहीं करेंगे सभी का जीवन सरल सुचारू रूप से कैसे चलेगा....... ---- बस यह बंटवारा समान होना चाहिए ...सुख-दुःख,भावनाएं, प्रेम स्वयं ही उत्पन्न होते जाएँगे, समता के भाव से... .....

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर....

Vindu babu ने कहा…

आपकी यह उत्कृष्ट रचना 'निर्झर टाइम्स' पर लिंग की गई है। कृपया http://nirjhar-times.blogspot.com पर अवलोकन करें।आपका सुझाव सादर आमन्त्रित है।

Nidhi ने कहा…

:) :)

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

फिर भी तो इंसान अपने को बहुत समझदार समझता है.