शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

लघु कथा -दोषी कौन


                                                                                [google se sabhar ]

अस्पताल के बर्नवार्ड में बेड पर अस्सी प्रतिशत जली हुई सुलेखा का अंतिम बयाँ लिया जा रहा था .सुलेखा तड़पते हुए किसी प्रकार बोल रही थी -''मेरी इस दशा के लिए मेरे ससुराल वाले ज्यादा दोषी हैं.या मेरे मायके वाले ....मैं यह नहीं जानती पर जन्म के साथ ही मैं एक लड़की हूँ यह अहसास मुझे कराया जाता रहा .मेरी माँ मुझसे बचपन से ही सावधान करती रहती ''ठीक से काम कर ...कल को अपने घर जाएगी तो मुझे बदनाम करेगी क्या ?''पिताजी कहते ''ठीक चाल-चलन रख वर्ना कैसे ब्याह होगा ?''......विदाई के समय माँ ने कान में धीरे से कहा था -''अब बिटिया वही तेरा घर है ...भागवान औरत वही है जिसकी अर्थी उसके पति के घर से निकले .अब बिटिया हमारी लाज तेरे ही हाथ में है .मायके की लाज को संभाले मैं जब ससुराल पहुंची तो पहले दिन से ही ताने मिलने लगे -''क्या लाई है अपने घर से !एक से एक रिश्ते आ रहे थे हमारी अक्ल पर ही पत्थर पड़े थे जो इसे ब्याह लाये ...''हर त्यौहार पर भाई सिंधारा लाता ...पूछता अच्छी तो है जीजी ?मैं कह देती ''हाँ'' तो पलट कर यह न कहता ''कहाँ जीजी तू तो जल कर कोयला हो गयी है !सच कहूँ माँ -बाप -भाई के इस व्यवहार ने मुझे बहुत दुखी किया .कल जब मेरे पति ने मुझसे कहा की ....जा मेरे घर से निकल जा ...तब एक बार मेरे मन में आया कि क्या यह मेरा घर नहीं !...पर तभी ये विचार भी मेरे मन में आया कि जिस घर में मैं पैदा हुई ,चहकी,महकी ....जब वही घर मेरा नहीं तब ये घर कैसे हो सकता है ?मैं दौड़कर स्टोर रूम में गयी और मिटटी का तेल अपने पर उड़ेल लिया और आग लगा ली .अब आप लोग ही इंसाफ करते रहना कि मेरी इस दुर्दशा के लिए ससुराल वाले ज्यादा दोषी हैं या मायके वाले ....''.

4 टिप्‍पणियां:

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

Nice post .

औरत की हक़ीक़त

नारी तन है
नारी मन है
नारी अनुपम है

सागर से गहरा
उसका मन है
संग ए मरमर सा
उसका बदन है

बाल घने हैं उसके
बोल भले हैं उसके
मन हारे पहले
पीछे तन हारे है

वफ़ा के पानी में
गूंथकर
प्यार की मिट्टी
सूरत बने जो
औरत उसका नाम है

हां, मैंने पढ़ा है
नारी मन को
आराम से
साए में
उसी के तन के

वह एक शजर है
फलदार
हमेशा कुछ देता ही है
पत्थर खाकर भी

क़ुर्बानी इसी का नाम है
यही औरत का काम है

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

ये हाल लगभग आज देश के हर कोने की लड़कियों के साथ है , चाहे हम जितनी भी कह लें नारी शक्ति शसक्त हो गयी है , पर ये कोढ़ आज भी जिंदा है, ये गलत पथ समाज के हर घर की नारियों ने पढ़ रखी हैं, और अपनी भावी पीढ़ी पर भी जबरन लादने की कोशिश करती रही हैं , ना मायके की ना ससुराल की कुछ हानि कुछ देर की तकलीफ सबकी पर जानेवाले ने किस हालत में ख़ुद को मिटाया ये दर्द सिर्फ उसे ही पता होता है, एक k चाहने से क्या होगा हर लड़की धीरे धीरे इस पहलु पर एकजुट होकर अड़ जाये बदलाव आ ही जायेगा समाज में इतिहास रचने में समय तो लगता है ..........

अशोक कुमार शुक्ला ने कहा…

Maarmik aur vicharottejak post.
Har kisi ko
Sochane ko vivash jaroor karegi.

Shalini kaushik ने कहा…

vastvikta byan karti sundar laghu katha.