रविवार, 7 अगस्त 2011

मेरी बहन


                                                  

आज बैठी हूँ और 
सोच रहीं हूँ तुझे 
तुझसे मिलने को मन 
करता है और कहता है 
आजा मेरी बहन घर
सुना है तेरे बगैर |

जब खाते थे एक
ही थाली में खाना 
लड़ना झगड़ना और 
रूठ के मान जाना 
आजा मेरी बहन घर 
सुना है तेरे बगैर |

एक्टिवा पर बाज़ार 
निकल घूमना पूरे दिन 
पर अकेले मन नही 
करता अब तो जाने का 
आजा मेरी बहन घर 
सुना है तेरे बगैर |

एक साथ स्कूल जाना 
खेलना खाना और पढना
हँसना खूब मस्त रहना 
अब तू हम सबके पास 
आजा मेरी बहन घर 
सुना है तेरे बगैर |

माँ भी पूछती है 
अब कब आयेगी तू  
तेरी याद करती है और 
हम तारें हैं उनकी आँखों के 
कैसे रह पायेगी वो 
यूँ दूर हमसे तो अब 
आजा मेरी बहन घर 
सुना है तेरे बगैर |

-दीप्ति शर्मा 

9 टिप्‍पणियां:

Shikha Kaushik ने कहा…

meri bahan vishay par prastut aapki yah rachna dil ko chhoo gayi .bahut sundar v sarthak post ke sath aapka is blog par shubhagaman huaa hai .aabhar
HAPPY FRIENDSHIP DAY

विभूति" ने कहा…

बहन के प्रति प्यार वो वयक्त करती खुबसूरत अभिवयक्ति....

ZEAL ने कहा…

wow! Beautiful post on loving sister . You made me nostalgic . I'm missing my sisters...

सागर ने कहा…

bhaut hi sundar...

deepti sharma ने कहा…

शिखा कौशिक ji aapka aabhar

deepti sharma ने कहा…

sushma 'आहुति' ji aapka aabhar

deepti sharma ने कहा…

zeal ji aapka aabhar

deepti sharma ने कहा…

dhanyevad sagar ji

Shalini kaushik ने कहा…

माँ भी पूछती है
अब कब आयेगी तू
तेरी याद करती है और
हम तारें हैं उनकी आँखों के
कैसे रह पायेगी वो
यूँ दूर हमसे तो अब
आजा मेरी बहन घर
सुना है तेरे बगैर |
बहुत सुन्दर भावों से भरी पंक्तियाँ और फोटो भी बहुत प्यारा लगाया है आपने
आभार