आज बैठी हूँ और
सोच रहीं हूँ तुझे
तुझसे मिलने को मन
करता है और कहता है
आजा मेरी बहन घर
सुना है तेरे बगैर |
जब खाते थे एक
ही थाली में खाना
लड़ना झगड़ना और
रूठ के मान जाना
आजा मेरी बहन घर
सुना है तेरे बगैर |
एक्टिवा पर बाज़ार
निकल घूमना पूरे दिन
पर अकेले मन नही
करता अब तो जाने का
आजा मेरी बहन घर
सुना है तेरे बगैर |
एक साथ स्कूल जाना
खेलना खाना और पढना
हँसना खूब मस्त रहना
अब तू हम सबके पास
आजा मेरी बहन घर
सुना है तेरे बगैर |
माँ भी पूछती है
अब कब आयेगी तू
तेरी याद करती है और
हम तारें हैं उनकी आँखों के
कैसे रह पायेगी वो
यूँ दूर हमसे तो अब
आजा मेरी बहन घर
सुना है तेरे बगैर |
-दीप्ति शर्मा
9 टिप्पणियां:
meri bahan vishay par prastut aapki yah rachna dil ko chhoo gayi .bahut sundar v sarthak post ke sath aapka is blog par shubhagaman huaa hai .aabhar
HAPPY FRIENDSHIP DAY
बहन के प्रति प्यार वो वयक्त करती खुबसूरत अभिवयक्ति....
wow! Beautiful post on loving sister . You made me nostalgic . I'm missing my sisters...
bhaut hi sundar...
शिखा कौशिक ji aapka aabhar
sushma 'आहुति' ji aapka aabhar
zeal ji aapka aabhar
dhanyevad sagar ji
माँ भी पूछती है
अब कब आयेगी तू
तेरी याद करती है और
हम तारें हैं उनकी आँखों के
कैसे रह पायेगी वो
यूँ दूर हमसे तो अब
आजा मेरी बहन घर
सुना है तेरे बगैर |
बहुत सुन्दर भावों से भरी पंक्तियाँ और फोटो भी बहुत प्यारा लगाया है आपने
आभार
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