रविवार, 18 नवंबर 2012

दे बेटी को मान, तुझे धिक्कारूं वरना -रविकर

 बेटे की चाहत रखें, ऐ नादाँ इंसान ।
अधिक जरुरी है कहीं, स्वस्थ रहे संतान ।
 
स्वस्थ रहे संतान, छोड़ यह अंतर करना ।
दे बेटी को मान, तुझे धिक्कारूं वरना ।
 
बेटा बेटी भेद, घूमता कहाँ लपेटे ।
स्वस्थ विवेकी सभ्य , चाहिए बेटी बेटे ।।

5 टिप्‍पणियां:

Shikha Kaushik ने कहा…

VERY RIGHT

Shalini kaushik ने कहा…

beta-beti me fark mat kar o bhale insan,
tere karmon ka fal tujhe degi teri santan.
very nice presentation.

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

डा श्याम गुप्त ने कहा…

स्वस्थ विवेकी सभ्य , चाहिए बेटी बेटे ।।


----क्या बात है ...सुन्दर कथन ....

रविकर ने कहा…

आभार आदरणीय डाक्टर साहब -
आभार आ. मदन जी ||
आभार आदरेया ||