गुरुवार, 22 नवंबर 2012

मुझे फख्र है मैंने जन्म दिया बेटी को

एक बेटी को जन्म देने वाली माता के भावों को इस रचना के माध्यम से प्रकट करने का प्रयास किया है -
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मेरी बेटी ने लिया जन्म ; मैं समझ पायी ,
सारी  जन्नत  ही मेरी गोद में सिमट आई .

उसने जब टकटकी लगाकर मुझे देख लिया ,
ख़ुशी इतनी मिली कि दिल में न समां पाई  .

 मखमली हाथों से छुआ चेहरा मेरा ,
मेरे तन में लहर रोमांच की सिहर आई .


 मुझे 'माँ' बनने की ख़ुशी दी मेरी बेटी ने ,
'जिए सौ साल ' मेरे लबो पर ये दुआ आई .



 मुझे फख्र है मैंने जन्म दिया बेटी को ,
आज मैं क़र्ज़ अपनी माँ का हूँ चुका पाई .

                               शिखा कौशिक 'नूतन'


8 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

very nice .

रविकर ने कहा…

शुभकामनायें-

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

बधाई आपको !

Shikha Kaushik ने कहा…

शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया किन्तु यह केवल मेरी रचना मात्र है .वैसे सभी बेटियों की माताओं को आपकी शुभकामनायें प्राप्त हो ऐसी प्रभु से कामना है .

Madan Mohan Saxena ने कहा…

अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति...
रूठे हुए शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन

Roshi ने कहा…

prem bhare ehsaas............

डा श्याम गुप्त ने कहा…

सुन्दर रचना ...बधाई

" बेटी तुम जीवन का धन हो
इस आँगन का स्वर्ण सुमन हो |"

Madhuresh ने कहा…

बिलकुल, हर माँ- बाप को फक्र होना चाहिए बेटी के जन्मने पर .. :)
सादर
मधुरेश