रविवार, 4 नवंबर 2012

' करवा चौथ जैसे त्यौहार क्यों मनाये जाते हैं ?'



' करवा चौथ जैसे त्यौहार क्यों मनाये  जाते  हैं ?'


अरी सुहागनों ! जरा धीरे से हंसो ,
यूं ना कहकहे लगाओ 
जानते हैं आज करवा चौथ है ,
पर तुम्हारी  कुछ माताएं ,
बहने ,बेटियां और सखियाँ 
असहज महसूस कर रही हैं आज के दिन 
क्योंकि वे सुहागन नहीं हैं !!




वर्ष भर तुमको रहता है 
इसी त्यौहार का ;इसी दिन का इंतजार ,
पर जो सुहागन नहीं हैं 
उनसे पूछो इस त्यौहार के आने से पूर्व के दिन 
और इस दिन कैसा सूनापन 
भर जाता है उनके जीवन में !








अरे सुनती नहीं हो !
धीरे चलो !
तुम्हारी पाजेब की छम-छम 
'उन' की भावनाओं को आहत कर रही हैं ,
वे इस दिन कितना भयभीत हैं !
जैसे किसी महान अपराध के लिए 
वर्ष के इस दिन दे दी जाती है 
उन्हें 'काले पानी ' की सजा !

इतना श्रृंगार  कर ,
चूड़ियाँ खनकाकर ,
हथेलियों पर मेहँदी रचाकर,
लाल साड़ी पहनकर ,
सिन्दूर सजाकर 
तुम क्यों  गौरवान्वित हो रही हो 
अपने सौभाग्यवती होने पर  ! 
  






कल तक कितनी ही तुम्हारी 
जाति  की यूं ही होती थी गौरवान्वित 
पर आज चाहती हैं छिपा लें 
खुद को सारे ज़माने से इस दिन 
ऐसे जैसे कोई  अस्तित्व ही नहीं है 
उनका इस दुनिया में !

ये भी भला कोई सौभाग्य हुआ 
जो पुरुष के होने से है अन्यथा 
स्त्री को बना देता है मनहूस ,
कमबख्त और हीन !

ऐसे त्यौहार क्यों मनाये  जाते  हैं ?
जो स्त्री -स्त्री को बाँट  देते  हैं ,
एक  को देते  हैं हक़   
हंसने का ,मुस्कुराने का 
और दूसरी को 
लांछित कर ,लज्जित कर ,
तानों की कटार  से काँट देते हैं !

                                शिखा कौशिक 'नूतन'


8 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रूप से आपने करवा चौथ पर उन औरतों के दर्द को अपनी लेखनी के माध्यम से उकेरा है जिसे लगभग सभी कवियों ब्लोगरों ने अनदेखा कर दिया था .बहुत सुन्दर प्रस्तुति.आभार

डा श्याम गुप्त ने कहा…

----कुछ नहीं... अपना अपना भाग्य....
---सोचिये यदि कोई टीम हार जाए , जो सदा ही होता है, तो क्या जीतने वाली टीम को खुशी मनाने का, ईश्वर को धन्यवाद देने का अधिकार नहीं है ???...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत उम्दा! मगर ऐसी ही रचना मैंने नूतन जी के ब्लॉग पर भी पढ़ी थी!

Shikha Kaushik ने कहा…

shastri ji aapne ye rachna mere blog ''nutan'' par padhi hogi na ki kinhi ''nutan'' ji ke blog par yadi ye kisi any ke blog par hai to usne copy ki hai kyonki mere dwara ye kal hi rachi gayi v post ki gayi hai .

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 6/11/12 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है ।

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

लोगों की ओछी सोच है...जो वो ऐसा भेद-भाव करते हैं..., वरना त्योहार तो त्योहार है !
मगर सच है ! बहुत दुख होता है, जब लोग ऐसी बातें करते और सोचते हैं...! करवाचौथ ही नहीं, हर त्योहार से उन्हें वंचित रखते हैं...
~सादर !!!

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
bhuneshwari malot ने कहा…

sach kaha, mahila ka mahila se bhedbhav kerna dukhad he.