रविवार, 18 नवंबर 2012

'' हुज़ूर इस नाचीज़ की गुस्ताखी माफ़ हो ''

'' हुज़ूर इस नाचीज़  की गुस्ताखी माफ़ हो ''




हुज़ूर इस नाचीज़  की गुस्ताखी माफ़ हो ,
 आज मुंह खोलूँगी हर गुस्ताखी माफ़ हो !


दूँगी सबूत आपको पाकीज़गी का मैं ,
पर पहले करें साबित आप पाक़-साफ़ हो !


मुझ पर लगायें बंदिशें जितनी भी आप चाहें ,
खुद पर लगाये जाने के भी ना खिलाफ हो !

मुझको सिखाना इल्म लियाकत का शबोरोज़ ,
पर पहले याद इसका खुद अलिफ़-काफ़ हो !

खुद को खुदा बनना 'नूतन' का छोड़ दो ,
जल्द दूर आपकी जाबिर ये जाफ़ हो !

                                                  शिखा कौशिक 'नूतन'




6 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

bhavon se bharpoor prastuti .nice

रविकर ने कहा…



बधाई आदरेया ।।

विभूति" ने कहा…

कोमल भावो की अभिवयक्ति......

Shikha Kaushik ने कहा…

HARDIK AABHAR -SHALINI JI, RAVIKAR JI V SUSHMA JI .

समयचक्र ने कहा…

bhavapoorn rachana abhivyakti ...

डा श्याम गुप्त ने कहा…

मुझको सिखाना इल्म लियाकत का शबोरोज़ ,
पर पहले याद इसका खुद अलिफ़-काफ़ हो !
---- बहुत खूब ...सुन्दर व सटीक भाव ...