एक बेटी को जन्म देने वाली माता के भावों को इस रचना के माध्यम से प्रकट करने का प्रयास किया है -
मेरी बेटी ने लिया जन्म ; मैं समझ पायी ,
सारी जन्नत ही मेरी गोद में सिमट आई .
उसने जब टकटकी लगाकर मुझे देख लिया ,
ख़ुशी इतनी मिली कि दिल में न समां पाई .
मखमली हाथों से छुआ चेहरा मेरा ,
मेरे तन में लहर रोमांच की सिहर आई .
मुझे 'माँ' बनने की ख़ुशी दी मेरी बेटी ने ,
'जिए सौ साल ' मेरे लबो पर ये दुआ आई .
मुझे फख्र है मैंने जन्म दिया बेटी को ,
आज मैं क़र्ज़ अपनी माँ का हूँ चुका पाई .
शिखा कौशिक 'नूतन'
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मेरी बेटी ने लिया जन्म ; मैं समझ पायी ,
सारी जन्नत ही मेरी गोद में सिमट आई .
उसने जब टकटकी लगाकर मुझे देख लिया ,
ख़ुशी इतनी मिली कि दिल में न समां पाई .
मखमली हाथों से छुआ चेहरा मेरा ,
मेरे तन में लहर रोमांच की सिहर आई .
मुझे 'माँ' बनने की ख़ुशी दी मेरी बेटी ने ,
'जिए सौ साल ' मेरे लबो पर ये दुआ आई .
मुझे फख्र है मैंने जन्म दिया बेटी को ,
आज मैं क़र्ज़ अपनी माँ का हूँ चुका पाई .
शिखा कौशिक 'नूतन'
8 टिप्पणियां:
very nice .
शुभकामनायें-
बधाई आपको !
शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया किन्तु यह केवल मेरी रचना मात्र है .वैसे सभी बेटियों की माताओं को आपकी शुभकामनायें प्राप्त हो ऐसी प्रभु से कामना है .
अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति...
रूठे हुए शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
prem bhare ehsaas............
सुन्दर रचना ...बधाई
" बेटी तुम जीवन का धन हो
इस आँगन का स्वर्ण सुमन हो |"
बिलकुल, हर माँ- बाप को फक्र होना चाहिए बेटी के जन्मने पर .. :)
सादर
मधुरेश
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