शम्मे जलने लगे आप ने क्या किया |
दिल मचलने लगे आप ने क्या किया |
अपनी मासूम दुनिया में खोये थे हम,
चाह में खोगये आपने क्या किया ।
अपनी राहों में थे हम, चले जारहे,
आप क्यों मिल गये आपने क्या किया ।
खुद की चाहत से दिल अपना आबाद था,
आस बन आ बसे, आपने क्या किया ।
जब खिलाये थे वो पुष्प चाहत के तो,
फ़ेर रुख चल दिये आपने क्या किया ।
साथ चलते हुए आप क्यों रुक गये,
क्यों कदम थक गये आप ने क्या किया ।
श्याम ,अब कौन चाहत का सिज़दा करे,
नाखुदा बन गये आपने क्या किया ॥
दिल मचलने लगे आप ने क्या किया |
अपनी मासूम दुनिया में खोये थे हम,
चाह में खोगये आपने क्या किया ।
अपनी राहों में थे हम, चले जारहे,
आप क्यों मिल गये आपने क्या किया ।
खुद की चाहत से दिल अपना आबाद था,
आस बन आ बसे, आपने क्या किया ।
जब खिलाये थे वो पुष्प चाहत के तो,
फ़ेर रुख चल दिये आपने क्या किया ।
साथ चलते हुए आप क्यों रुक गये,
क्यों कदम थक गये आप ने क्या किया ।
श्याम ,अब कौन चाहत का सिज़दा करे,
नाखुदा बन गये आपने क्या किया ॥
4 टिप्पणियां:
साथ चलते हुए आप क्यों रुक गये,
क्यों कदम थक गये आप ने क्या किया ।
खूबसूरत गज़ल....
धन्यवाद पूनम जी
दीपावली का त्यौहार आपके लिए मंगलमय हो
अब अपनी टिप्पणी के साथ अपनी पसंद अनुसार कोई भी ग्रीटिंग भेजें
dhanyvad vineet jeee....
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