शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

'मुझे ऐसे न खामोश करें '

'मुझे ऐसे न खामोश करें '

आ ज मुंह खोलूंगी मुझे ऐसे न खामोश करें ,
मैं भी इन्सान हूँ मुझे ऐसे न खामोश करें !

तेरे हर जुल्म को रखा है छिपाकर दिल में ,
फट न जाये ये दिल कुछ तो आप होश करें !

मुझे बहलायें नहीं गजरे और कजरे से ,
रूमानी बातों से न यूँ मुझे मदहोश करें !

मेरी हर इल्तिजा आपको फ़िज़ूल लगी ,
है गुज़ारिश कि आज इनकी तरफ गोश करें !

मेरे वज़ूद  पर ऊँगली न उठाओ 'नूतन' ,
खून का कतरा -कतरा यूँ न मेरा नोश करें  !                            

शिखा कौशिक 'नूतन'

9 टिप्‍पणियां:

डा श्याम गुप्त ने कहा…


...मुझे ऐसे न खामोश करें .....सुन्दर, सामयिक व अर्थपूर्ण गजल ....

नोश करो ! = नोश करें !

Shikha Kaushik ने कहा…

aabhar

Shalini kaushik ने कहा…

bhavpoorn v sundar abhivyakti badhai

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…


कल 09/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूब .... अपनी आवाज़ बुलंद करें

Rewa Tibrewal ने कहा…

wah.....bahut bhavpurn abhivyakti...har line ki apni hi alag baat

Asha Lata Saxena ने कहा…

सार्थक अभिव्यक्ति |
आशा

Shikha Kaushik ने कहा…

टिप्पणी हेतु आभार .. हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

Anupama Tripathi ने कहा…

भाव पूर्ण ...ऐसे ही लिखती रहें ...