अकसर हमारे समाज में शादी हो या जन्म-दिन या अन्य कोई शुभ प्रंसग हो भोज का आयोजन किया जाताा है, प्रायः देखने में आता है कि लोग खाते कम है, अन्न की बर्बादी ज्यादा करते हैे।आजकल कई तरह के व्यंजनो के स्टाॅल लगते है जिससे सब का मन ललचा उठता है,और सभी व्यंजनो का स्वाद लेने के चक्कर मे ढेर सारा भोजन प्लेट में ले लेते है और पेटभर जाने के कारण अनावश्यक रूप से लिया गया भोजन बच जाता है जिसे कूडे- दान में फेंक दिया जाता है या नाली में बहा दिया जाता है ,लेकिन हम चाहे तो अन्न की बर्बादी को काफी हद तक रोक सकते है,यदि इस भोजन का सद्उपयोग किया जाय तो न जाने कितने भूखे-गरीबो का पेट भर सकता है। किसी संस्था की मदद से अनाथाश्रम या किसी बस्ती में पहुचाया जा सकता है या अप्रत्यक्ष रूप सं गौ-माता को इस भोजन में सम्मिलित कर अप्रत्यक्ष पुण्य का भागीदार आप बन सकते है गौ-शाला से सम्पर्क करके,फोन द्धारा सूचित करके या स्ंवय गायों तक भोजन पहुचाकर पुण्य कमा सकते है।
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गाॅधी जी ने कहा है कि कम खाने -वाला ज्यादा जीता है,ज्यादा खाने वाला जल्दी मरता है।
श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत
4 टिप्पणियां:
अनुभव कर के भूख का, उस गरीब को देख ।
दिन भर इक रोटी नहीं, मिटी हस्त आरेख ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in/
मुझे लगता है कि इंसान में खाने का लालच सबसे बड़ा होता है। हम तो उतना ही प्लेट में लेते हैं जितना खाना होता है।
शुक्रवार के मंच पर, तव प्रस्तुति उत्कृष्ट ।
सादर आमंत्रित करूँ, तनिक डालिए दृष्ट ।।
charchamanch.blogspot.com
aann ka samman karna hamari prampra hai lekin vastvikta kuch aur hi hoti hai
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