पुरुष को अहम् है,
अपने बुद्धि बल पर,
अपने बाहु बल पर
और स्त्री पर अधिकार
कर लेने का !
स्त्री को पालन करना है
पुरुष आज्ञा का ,
क्या पुरुष मात्र वस्त्रों
के आधार पर निर्धारित
करेगा -''अच्छी स्त्री''
''बुरी स्त्री ''
अपनी स्त्री को संपत्ति
मान परदे में रखेगा ;
छिपाकर जैसे भरी
तिजोरी हो और दूसरी
स्त्रियों की आलोचना
का अधिकार स्वत:
ही पा लेगा ,
ये साड़ी पहनती हैं
कैसी वेशभूषा है ?
ये सलवार सूट धारण करती
हैं -दुपट्टा तक संभलता
नहीं ,जींस-टॉप क्यों
पहनती हैं ?ये तो लडको
की वेशभूषा है ,
अन्य वस्त्रों पर भी
कटाक्ष की तलवार तो
चलती ही है ,
पर एक प्रश्न का उत्तर
क्या देंगे पुरुष ?
आप जैसे बद्धिमान प्राणी
ने कभी स्त्री को देह से
आगे बढ़कर जानने का
प्रयास क्यों नहीं किया ?
क्यों उसे मात्र मनोरंजन
और संतानोत्पत्ति का साधन
बना डाला ,
स्त्री को क्या कभी
आगे बढ़कर
समान प्राणी का हक
दे सकेंगे पुरुष?
पर जिस स्त्री को दासी
बना आप उड़ाते रहे
उपहास उसी
स्त्री की मेधा आपसे
बहुत आगे है क्योंकि
उसने आपको मात्र
देह न मानकर ,
पशु बल को सहकर भी
एक समान प्राणी का दर्जा दिया
पर कभी आपके वस्त्रों
पर नहीं तंज कसा .
शिखा कौशिक
5 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
क्या पुरुष मात्र वस्त्रों
के आधार पर निर्धारित
करेगा -''अच्छी स्त्री''
''बुरी स्त्री ''
अपनी स्त्री को संपत्ति
मान परदे में रखेगा ;
छिपाकर जैसे भरी
तिजोरी हो और दूसरी
स्त्रियों की आलोचना
का अधिकार स्वत:
ही पा लेगा ,
ये साड़ी पहनती हैं
कैसी वेशभूषा है ?
ये सलवार सूट धारण करती
हैं -दुपट्टा तक संभलता
नहीं ,जींस-टॉप क्यों
पहनती हैं ?ये तो लडको
की वेशभूषा है
बहन शिखा कौशिकजी सही बात है आपकी लेकिन सभी पुरुष ऐसे नहीं होते है!
बहुत सुंदर रचना आभार
सुन्दर अभिव्यक्ति पर परिस्थितियाँ अब वैसी नहीं है | बहुत से लोग हैं जो स्त्रियों को भी समान दर्जा देते हैं |
हम सब मिल के कोशिश करेंगे तो और भी सुधार होगा |
मेरी कविता
सुंदर उद्गार.परिस्थितियाँ बदलती जा रही हैं और भविष्य में और भी अच्छी होंगी.
baap re ...... naarivaadi aandolan..
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