कडवा सच
काश हम समझ पाती...........
काश हम समझ पाती...........
हमारे पडौस में एक बुर्जग महिला अपने बेटे और बहु के साथ रहती है। एक दिन अचानक गई तो देखा सासु मां ढेर से बर्तन मांज रही है व बहु रानी आराम से पत्रिका पढ रही है। उस समय तो मैं वापस आगई ।एक बार बहु की अनुपस्थित में उस महिला ने रूआसी होकर अपने दिल की बात बताई कि बहु उसको किस तरह सताती है और उसके साथ दुव्यवहार करती है मेरे कोई बेटी भी नही है जिसे दिल की बात बता सकू अब इस बुढापे में क्या कर सकती हूं।तू मेरी बेटी जैसी है किसे कहना मत ।
यह कटु सत्य हैकि अधिकाश बहुए अपने सास-सुसर के साथ न तो रहना पसंद करती है,न ही उन्हें अपने साथ रखना ।बुर्जगों के साथ दुव्यवहार करने वाली महिलाए घर की सुख-शांति हर लेती है।
बुर्जग घर की रौनक है जीवन संध्या में उन्हें सिर्फ प्यार,आदर और अपनेपन की जरूरत है ।दादा-दादी से हमारे बच्चों को संरक्षण मिलता है ।मेरा सपना है कि काश हर बहु ऐसा सोच पाती ताकि उनकी छत्र-छाया में हमारी भावी सभ्यता व संस्कृति फल-फूल सके।
यह कटु सत्य हैकि अधिकाश बहुए अपने सास-सुसर के साथ न तो रहना पसंद करती है,न ही उन्हें अपने साथ रखना ।बुर्जगों के साथ दुव्यवहार करने वाली महिलाए घर की सुख-शांति हर लेती है।
बुर्जग घर की रौनक है जीवन संध्या में उन्हें सिर्फ प्यार,आदर और अपनेपन की जरूरत है ।दादा-दादी से हमारे बच्चों को संरक्षण मिलता है ।मेरा सपना है कि काश हर बहु ऐसा सोच पाती ताकि उनकी छत्र-छाया में हमारी भावी सभ्यता व संस्कृति फल-फूल सके।
श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत
प्रषेकः- अस्पताल चौराहा
महादेव कॅंालोनी
बॉंसवाडा राज़
प्रस्तुतकर्ता-
शिखा कौशिक
5 टिप्पणियां:
दादा-दादी से हमारे
बच्चों को संरक्षण मिलता है ।
काश
बहु ऐसा सोच पाती ||
durbhagypurn|
sateek bat kahi hai aapne .aabhar
बुज़ुर्ग जीवन के मूल्यों के अमूल्य खजाने के धरोहर होते हैं ! उनकी उपेक्षा करके हम क्या खोते हैं इसका अनुभव हमें बाद में होता है !
इस सुन्दर पोस्ट के लिए आप बधाई की पत्र हैं !
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ !
दादा दादी से हमारे बच्चों को संरक्षण मिलता है और इन्ह रिश्तों का सम्मान कीजिये ना जाने ये रिश्ते आपसे कब दूर हो जाये फिर आपको मिले या न मिलें और इस विषय पर अक्सर बहुत बार चर्चा सुनने को मिलती है!
बहुओ को ख़ुद सोचना चाहिए क्योंकि कल वे भी किसी की माँ और दादी बनेगी है हम ये निश्चय करते है की हमारी संतान किस दिशा में जा रही है और हम उनको क्या संस्कार दे रहे जरुर सोचना चाहिए!
आभार श्रीमति भुवनेश्वरी मालोतजी और बहन शिखा कौशिकजी आपका
एक टिप्पणी भेजें