सोमवार, 3 सितंबर 2012

रविकर-पत्नी किन्तु, हड़पती कुल कंगालों-

"हास्य नहीं है"
है क्या ??
 
सालों घर को सजा के, सजा भोगती अन्त । 
रक्त-मांस सर्वस्व दे, जो जीवन पर्यंत ।

जो जीवन पर्यंत, उसे वेतन का हिस्सा ।
लाएगी सरकार, नया बिल ताजा किस्सा ।

रविकर-पत्नी किन्तु,  हड़पती कुल कंगालों ।
 कुछ तो करो उपाय,  एक बिल लाना सालों ।।

7 टिप्‍पणियां:

डा श्याम गुप्त ने कहा…

कोई टिप्पणी नहीं... अस्पष्ट है ..

Shikha Kaushik ने कहा…

BAHUT KHOOB RAVIKAR JI .AABHAR

Shalini kaushik ने कहा…

.बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति

रविकर ने कहा…

आज का समाचार ||

कैबिनेट में एक बिल आने वाला है-
पति के वेतन का एक हिस्सा पत्नी के लिए सुनिश्चित किया जायेगा, ताकि जीवन काल में उसे आर्थिक परेशानी न हो --
एक स्वागत योग्य कदम ||

पर रविकर की पत्नी के हाथ तो पूरा वेतन ही लगता है-
निर्मल हास्य |
पत्नी की तरफदारी उसके भाई से अच्छा कौन करेगा -
आभार-
कुछ परिवर्तन सुझाएँ -
सादर ||

Shalini kaushik ने कहा…

.बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

जरूर लायेंगे, मगर वही बिल लायेंगे जिससे इनका स्वार्थ पूरा होगा।

डा श्याम गुप्त ने कहा…

इनका --से क्या तात्पर्य है ---केबिनेट में तो सारे देश का ही प्रतिनिधित्व है....