"हास्य नहीं है"
है क्या ??
सालों घर को सजा के, सजा भोगती अन्त ।
रक्त-मांस सर्वस्व दे, जो जीवन पर्यंत ।
जो जीवन पर्यंत, उसे वेतन का हिस्सा ।
लाएगी सरकार, नया बिल ताजा किस्सा ।
रविकर-पत्नी किन्तु, हड़पती कुल कंगालों ।
कुछ तो करो उपाय, एक बिल लाना सालों ।।
7 टिप्पणियां:
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BAHUT KHOOB RAVIKAR JI .AABHAR
.बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
आज का समाचार ||
कैबिनेट में एक बिल आने वाला है-
पति के वेतन का एक हिस्सा पत्नी के लिए सुनिश्चित किया जायेगा, ताकि जीवन काल में उसे आर्थिक परेशानी न हो --
एक स्वागत योग्य कदम ||
पर रविकर की पत्नी के हाथ तो पूरा वेतन ही लगता है-
निर्मल हास्य |
पत्नी की तरफदारी उसके भाई से अच्छा कौन करेगा -
आभार-
कुछ परिवर्तन सुझाएँ -
सादर ||
.बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
जरूर लायेंगे, मगर वही बिल लायेंगे जिससे इनका स्वार्थ पूरा होगा।
इनका --से क्या तात्पर्य है ---केबिनेट में तो सारे देश का ही प्रतिनिधित्व है....
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