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शुक्रवार, 14 सितंबर 2012
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1 टिप्पणी:
कुछ शाश्वत सम्बन्ध हैं, परे दोस्ती प्यार ।
स्वार्थ सिद्ध के योग की, करे प्यार मनुहार ।
करे प्यार मनुहार, स्वयं की ख़ुशी मूल है ।
जाता देना भूल, करेगा पर क़ुबूल है ।
किन्तु दोस्ती भाव, परस्पर सुख दुःख देखे ।
सदा प्यार से श्रेष्ठ, दोस्ती मेरे लेखे ।।
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