मंगलवार, 4 सितंबर 2012

अब तो जागो

कब तक तुम
अपने अस्तित्व को
पिता या भाई
पति या पुत्र
के साँचे में ढालने के लिये
काटती छाँटती
और तराशती रहोगी ?
तुम मोम की गुड़िया तो नहीं !

कब तक तुम
तुम्हारे अपने लिये
औरों के द्वारा लिये गए
फैसलों में
अपने मन की अनुगूँज को
सुनने की नाकाम कोशिश
करती रहोगी ?
तुम गूंगी तो नहीं !

कब तक तुम
औरों की आँखों में
अपने अधूरे सपनों की
परछाइयों को
साकार होता देखने की
असफल और व्यर्थ सी
कोशिश करती रहोगी ?
नींदों पर तुम्हारा भी हक है !

कब तक तुम
औरों के जीवन की
कड़वाहट को कम
करने के लिये
स्वयम् को पानी में घोल
शरबत की तरह
प्रस्तुत करती रहोगी ?
क्या तुम्हारे मन की
सारी कड़वाहट धुल चुकी है ?
तुम कोई शिव तो नहीं !

कब तक तुम
औरों के लिये
अपना खुद का वजूद मिटा
स्वयं को उत्सर्जित करती रहोगी ?

क्यों ऐसा है कि
तुम्हारी कोई आवाज़ नहीं?
तुम्हारी कोई राय नहीं ?
तुम्हारा कोई निर्णय नहीं ?
तुम्हारा कोई सम्मान नहीं ?
तुम्हारा कोई अधिकार नहीं ?
तुम्हारा कोई हमदर्द नहीं ?
तुम्हारा कोई अस्तित्व नहीं ?

अब तो जागो
तुम कोई बेजान गुडिया नहीं
जीती जागती हाड़ माँस की
ईश्वर की बनायी हुई
तुम भी एक रचना हो
इस जीवन को जीने का
तुम्हें भी पूरा हक है !
उसे ढोने की जगह
सच्चे अर्थों में जियो !
अब तो जागो
नयी सुबह तुम्हें अपने
आगोश में समेटने के लिये
बाँहे फैलाए खड़ी है !
दैहिक आँखों के साथ-साथ
अपने मन की आँखें भी खोलो !
तुम्हें दिखाई देगा कि
जीवन कितना सुन्दर है !


साधना वैद

6 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

bahut sahi bhavatmak prastuti sadhna ji,

Rajesh Kumari ने कहा…

कब तक तुम
औरों के जीवन की
कड़वाहट को कम
करने के लिये
स्वयम् को पानी में घोल
शरबत की तरह
प्रस्तुत करती रहोगी ?लाजबाब प्रस्तुति ---बहुत बधाई

virendra sharma ने कहा…

हाँ कब तक ?महिषासुर मर्दिनी तुम्हें बनना ही पड़गी कब तक सामाजिक चलन की समिधा बनी रहोगी ,अबला कहलाओगी ?कब तक ?
मंगलवार, 4 सितम्बर 2012
जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें
जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें

यह वही जीवन शैली रोग है जिससे दो करोड़ अठावन लाख अमरीकी ग्रस्त हैं और भारत जिसकी मान्यता प्राप्त राजधानी बना हुआ है और जिसमें आपके रक्तप्रवाह में ब्लड ग्लूकोस या ब्लड सुगर आम भाषा में कहें तो शक्कर बहुत बढ़ जाती है .इस रोगात्मक स्थिति में या तो आपका अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हारमोन ही नहीं बना पाता या उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है आपका शरीर .

पैन्क्रिअस या अग्नाशय उदर के पास स्थित एक शरीर अंग है यह एक ऐसा तत्व (हारमोन )उत्पन्न करता है जो रक्त में शर्करा को नियंत्रित करता है और खाए हुए आहार के पाचन में सहायक होता है .मधुमेह एक मेटाबोलिक विकार है अपचयन सम्बन्धी गडबडी है ,ऑटोइम्यून डिजीज है .

डा श्याम गुप्त ने कहा…

दैहिक आँखों के साथ-साथ
अपने मन की आँखें भी खोलो !
तुम्हें दिखाई देगा कि
जीवन कितना सुन्दर है !

--- सुन्दर ..अति सुन्दर व सार्थक रचना ...स्त्री-पुरुष-समाज सभी को सोचने को वाध्य होना चाहिए...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बृहस्पतिवार (06-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
अध्यापकदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुंदर !

उड़कर जब तक नहीं
देखोगी आसमान में स्वछंद
कैसे जान पाओगी
आसमान और भी है
और रास्ते भी
कहीं नहीं हैं बंद !