'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१८
"[चौपाई छंद ]
कन्या करों में कलम सुहाती * बात समझ ये क्यूँ ना आती !
मन में अज्ञान मैल समाया * ज्ञान झाड़ू से हो सफाया !!"
शिक्षित कन्या कुल मान बढाती * नई पीढ़ी शिक्षित हो जाती !
इससे झाड़ू मत लगवाओ * कागज कलम इसे पकडाओ !!"
SHIKHA KAUSHIK
10 टिप्पणियां:
बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
बहुत बढ़िया...!
sundar bhaav
aap sabhi ka hardik aabhar
चौपाई....
जिसका जैसा भाग्य लिखाहै,वही कर्म का लेखदिखाहै|
कन्या-पुत्र न कोई अंतर,झाडू हो या कलम तदन्तर |
---कवित्त छंद...
"तेरे करने से कुछ होता नहीं कार्य यहाँ,
अप शुभ कर्म न्याय रीति-नीति कीजिये |
होता जिस जातक का जैसा भाग्येश यथा,
होता वही, आप झाडू या कलम दीजिए |
पर होता माता-पिता का भी कुछ धर्म'श्याम,
आप भी संतान हित, निज कर्म कीजिये |
कन्या और पुत्र में न कीजै कोई भेद-भाव,
दोनों को समान-भाव पाल-पोस लीजिए ||
kya aapne dono ''OPEN BOOK ''par dal diye hain yadi nahi to jaroor dal den .
शिक्षित कन्या कुल मान बढाती * नई पीढ़ी शिक्षित हो जाती !
इससे झाड़ू मत लगवाओ * कागज कलम इसे पकडाओ !!"
मनमोहन को ये समझाओ ,कन्या -कर में कलम सुहाती ,
सबका भाग्य सोनिया जी की तरह विकसित नहीं है जो बारवीं पास होके मोहना मन से पानी भरवा रहीं हैं .
शिक्षित कन्या कुल मान बढाती * नई पीढ़ी शिक्षित हो जाती !
इससे झाड़ू मत लगवाओ * कागज कलम इसे पकडाओ !!"
मनमोहन को ये समझाओ ,कन्या -कर में कलम सुहाती ,
सबका भाग्य सोनिया जी की तरह विकसित नहीं है जो बारवीं पास होके मोहना मन से पानी भरवा रहीं हैं .
बहुत सार्थक रचना
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