फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)।। इस वैज्ञानिक युग में भी समाज को अंधविश्वास की जकड़न से छुटकारा नहीं मिल पाया है। समाज को झकझोर देने वाला अंधविश्वास का नया मामला उत्तर प्रदेश में फतेहपुर जनपद के एक गांव का है, जहां एक पिता अपनी विकलांग बेटी की शादी पत्थर से तय कर निमंत्रण पत्र भी बांट चुका है। शादी की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और गांव के देवी मंदिर में इसके लिए अनुष्ठान भी शुरू हो चुका है।
फतेहपुर जिले के जाफरगंज थाने के परसादपुर गांव की गौरा देवी मंदिर में यज्ञ और कर्मयोगी श्रीकृष्ण की रासलीला का मंचन किया जा रहा है। इसी यज्ञ के पंडाल में एक अप्रैल को गांव के बालगोविंद त्रिपाठी मानसिक एवं शारीरिक रूप से कमजोर अपनी बेटी की शादी मंदिर के एक पत्थर के साथ हिंदू रीति-रिवाज से रचाएंगे। इसके लिए उन्होंने बाकायदा निमंत्रण पत्र छपवा कर इलाके के गणमान्य व अपने रिश्तेदारों में बांटा भी गया है। हैरानी की बात यह है कि निमंत्रण पत्रों में सभी वैवाहिक कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के लखनऊ सचिवालय में तैनात एक कर्मचारी राजेश शुक्ल द्वारा सम्पन्न कराए जाने का जिक्र है।
त्रिपाठी का कहना है कि वह अपनी बेटी की शादी मंदिर के पत्थर के साथ इसलिए करने जा रहे हैं, ताकि वह अगले जन्म में विकलांग पैदा न हो। ग्रामीण जगन्नाथ का कहना है कि पत्थर के साथ शादी रचाने की यह पहली घटना है। कुछ दिन पूर्व भी त्रिपाठी ने ऐसी कोशिश की थी लेकिन गांव वालों के दबाव में वह सफल नहीं हो पाए थे। मकसद में कामयाब होने के लिए ही अबकी बार उन्होंने सचिवालय के कर्मचारी को आगे किया है, ताकि पुलिस कार्रवाई न हो सके।
बिंदकी के उप-प्रभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) डॉ. विपिन कुमार मिश्र ने बताया, 'मुझे इसके बारे में जानकारी मिली है और मैंने जाफरगंज थानाध्यक्ष को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।'
जाफरगंज के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया, 'यह समाज का फैसला है, इसके लिए क्या कहा जाए। पत्थर से शादी हो सकती है या नहीं, यह जिले के अधिकारी बताएंगे।' थानाध्यक्ष जाफरगंज मनोज पाठक ने कहा, 'एसडीएम का निर्देश मिल चुका है, गांव जाकर जांच पड़ताल की जाएगी। बेजान या पशुओं से किसी की शादी रचाना कानूनन अपराध है।'
इस घटना से एक बात स्पष्ट है कि आधुनिक कहे जाने वाले समाज में ऐसे चेहरे भी मौजूद हैं, जो अंधविश्वास में भरोसा करने की बड़ी भूल कर रहे हैं। यदि निमंत्रण पत्रों में सचिवालय कर्मी का नाम उसकी इजाजत पर छपा है तो मामला और संगीन बन जाता है।
फतेहपुर जिले के जाफरगंज थाने के परसादपुर गांव की गौरा देवी मंदिर में यज्ञ और कर्मयोगी श्रीकृष्ण की रासलीला का मंचन किया जा रहा है। इसी यज्ञ के पंडाल में एक अप्रैल को गांव के बालगोविंद त्रिपाठी मानसिक एवं शारीरिक रूप से कमजोर अपनी बेटी की शादी मंदिर के एक पत्थर के साथ हिंदू रीति-रिवाज से रचाएंगे। इसके लिए उन्होंने बाकायदा निमंत्रण पत्र छपवा कर इलाके के गणमान्य व अपने रिश्तेदारों में बांटा भी गया है। हैरानी की बात यह है कि निमंत्रण पत्रों में सभी वैवाहिक कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के लखनऊ सचिवालय में तैनात एक कर्मचारी राजेश शुक्ल द्वारा सम्पन्न कराए जाने का जिक्र है।
त्रिपाठी का कहना है कि वह अपनी बेटी की शादी मंदिर के पत्थर के साथ इसलिए करने जा रहे हैं, ताकि वह अगले जन्म में विकलांग पैदा न हो। ग्रामीण जगन्नाथ का कहना है कि पत्थर के साथ शादी रचाने की यह पहली घटना है। कुछ दिन पूर्व भी त्रिपाठी ने ऐसी कोशिश की थी लेकिन गांव वालों के दबाव में वह सफल नहीं हो पाए थे। मकसद में कामयाब होने के लिए ही अबकी बार उन्होंने सचिवालय के कर्मचारी को आगे किया है, ताकि पुलिस कार्रवाई न हो सके।
बिंदकी के उप-प्रभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) डॉ. विपिन कुमार मिश्र ने बताया, 'मुझे इसके बारे में जानकारी मिली है और मैंने जाफरगंज थानाध्यक्ष को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।'
जाफरगंज के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया, 'यह समाज का फैसला है, इसके लिए क्या कहा जाए। पत्थर से शादी हो सकती है या नहीं, यह जिले के अधिकारी बताएंगे।' थानाध्यक्ष जाफरगंज मनोज पाठक ने कहा, 'एसडीएम का निर्देश मिल चुका है, गांव जाकर जांच पड़ताल की जाएगी। बेजान या पशुओं से किसी की शादी रचाना कानूनन अपराध है।'
इस घटना से एक बात स्पष्ट है कि आधुनिक कहे जाने वाले समाज में ऐसे चेहरे भी मौजूद हैं, जो अंधविश्वास में भरोसा करने की बड़ी भूल कर रहे हैं। यदि निमंत्रण पत्रों में सचिवालय कर्मी का नाम उसकी इजाजत पर छपा है तो मामला और संगीन बन जाता है।
3 टिप्पणियां:
कई सामाजिक टोटके पौँगा पंडितों का भविष्य कथन लड़के का पहला विवाह (जिसके ब्याह में व्यवधान आ रहा है और दो शादियों का योग है टूटी टूटी )तुलसी के साथ करवा देता है .वैसे भी प्रतीक स्वरूप पुरुष सहृदय नारी के लिए पाषाण हृदय लिए ही रहा आया है पुरुष प्रभुत्व के तले नारी पिसती रही है .यह सिलसिला अभी टूटा नहीं है .खबर ज़रूर बन जाती है .एक जोरदार झटका चाहिए .
sarthak post aabhar
ना जाने कब बदलेगा हमारा यह समाज जो आज भी अंधविश्वासों में मान्यता रखता है और इस तरह न जाने कितनी मासूम ज़िंदगीयों को कुचल दिया करता है
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