खेलूंगी.... बरजोरी ..बरजोरी ,
मैं तो खेलूंगी श्याम संग होरी ।।
अब तक बहुत गगरियाँ फ़ोरीं,
अब होरी के रंग-रस छाये,
श्याम सखा मोरे मन भाये ।
पागल तन मन भीगा जाए,
चाहे चूनर ही रंग जाए ।
चाहे जले राधा भोरी ......
मैं तो खेलूंगी श्याम संग होरी ।।
ग्वाल बाल संग कान्हा आये,
ढोल मृदंग मजीरे लाये
बरसाने की डगर सुहाए,
रंग रस धार बहाते आये ।
खेलन आये होरी.......
मैं तो खेलूंगी श्याम संग होरी ।।
लकुटि लिए सब सखियाँ खडीं हैं,
सब मनमानी करने अड़ी हैं ।
बरसाने की बीच डगर में,
अब न चले बरजोरी ...बरजोरी ...
मैं तो खेलूंगी श्याम संग होरी ।।
भरि पिचकारी कान्हा मारे,
तन मन के सब मैल उतारे ।
अंतरतम तक भीजें सखियाँ ,
भूलि गयीं सब लकुटि-लकुटियाँ ।
भूली गयीं सब राह डगरियाँ,
भूलि गयीं सब टूटी गगरियाँ ।
भूलीं माखन चोरी.......
मैं तो खेलूंगी श्याम संग होरी ।।
माखन चोर रस रंग बहाए ,
होगई मन की चोरी ।
तन मन भीगें गोप-गोपिका,
भीजे राधा गोरी ।
होगई मन की चोरी ......
मैं तो खेलूंगी श्याम संग होरी ......
खेलूंगी बरजोरी ...बरजोरी.....
मैं तो खेलूंगी श्याम संग होरी ।।
2 टिप्पणियां:
AABHAAR
होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
धन्यवाद रविकर व रितु जी ..होय पूर्ण सब आस
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