नारी मन इन नार्वे--
नारी मन इन नार्वे, तन है एक मशीन ।
नर-नारी तन भारती, दीन हीन गमगीन ।
दीन हीन गमगीन, दूर से ताको बच्चा।
छीनेगी सरकार, करे गर करतब कच्चा ।
साथ सुलाए बाप, खिला दे गर महतारी ।
गलत परवरिश भांप, रोय नर हारे नारी ।।
भारत की नारी करे, पल-पल अद्भुत त्याग ।
थपकी देकर दे सुला, दुग्ध अमिय अनुराग।
दुग्ध अमिय अनुराग, नार्वे की महतारी ।
पुत्र सोय गर साथ, नींद बिन रात गुजारी ।
कह रविकर परवरिश, सदा ही श्रेष्ठ हमारी।
ममता से भरपूर, पूज भारत की नारी ।।
13 टिप्पणियां:
कह रविकर परवरिश, सदा ही श्रेष्ठ हमारी।
ममता से भरपूर, पूज भारत की नारी ।।
---vaah!vaah!
अब याद आया भारत लोगों को, समझ आएगा धीरे धीरे यहां की बाते। बस दुनिया की चकाचौंध में अंधे होकर भाग रहे है अपना देश छोडकर। अच्छा लिखा है आपने।
mamta ko paribhashit karti post hae aapki. meri nai post par bhi aayen svagat hae.
कह रविकर परवरिश, सदा ही श्रेष्ठ हमारी।
ममता से भरपूर, पूज भारत की नारी ।।waah.
रविकर जी के बिना ब्लॉगिस्तान सूना था!।
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के जन्मदिवस पर उन्हें शत्-शत् नमन!
भारतीय परम्पराओं व प्यार को समझ पाना ..इन सबके बस की बात नहीं
kalamdaan.blogspot.com
अपने रविकर दिनकर दिनेश जी की लेखनी ही हो सकती है इतनी सशक्त और संप्रेष्य है .बेहतरीन रचना .
कह रविकर परवरिश, सदा ही श्रेष्ठ हमारी।
ममता से भरपूर, पूज भारत की नारी ।।
सुन्दर मनोहर सवाल उठाती आज की विसंगतियों पर .
सशक्त रचना : हार्दिक बधाई
जय जय सुभाष !
माँ तो माँ ही होती है ! कोई कैसे उसकी ममता पर सवाल उठा सकता है ! नॉर्वे की यह घटना स्तब्ध कर गयी ! सुन्दर रचना है आपकी !
आभार ||
sundar rachana h,maa ki mamta ko shabdo may paribhashit karana asambhav h ,MAA the word that spell supreme power.
AABHAAR
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