''मेरी बहन '' श्रृखला में प्रस्तुत प्रथम रचनाएँ ''
Khare A ने आपकी पोस्ट " ''भारतीय नारी'' ब्लॉग पर अगस्त माह में नारी विषयक ... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
ये बंधन तो प्यार का बंधन हे
१- मेरी दीदी
हाँ अब बो नानी भी बन चुकी हे
लेकिन राखी बांधना नही भूली
राखी पर उनका फोन आ ही जाता हे
क्या प्रोग्राम हे , कब आ रहे हो
या हर बार कि तरह इस बार भी.....
राखी पोस्ट कर दूँ....
शादी के बाद ये बंधन इतना कमजोर
क्यूँ हो जाता हे.....
में दुविधा में सोचता ही रह जाता हूँ...
२. पत्नी
ए जी सुनो .......
मोनू इस बार भी नही आ पायेगा
मुझे ही उसको राखी बांधने जाना होगा
मेने दबी सी आवाज में कहा
दीदी का फोन आया था ....
उसने इग्नोर किया , और बोली..
शाम को ऑफिस से जल्दी आ जाना
मोनू के लिए राखी खरीदनी है
मेरी दुविधा काफी हद्द तक
ख़तम हो चुकी हे....
३..अंतर
भाई (मोनू) कि शादी हो चुकी हे...
इस बार मोनू का फोन आया
दीदी आप इस बार राखी पर मत आना
मैं शिवाली को उसके भाई के यहाँ लेकर जाऊंगा
पत्नी बड़बड़ाती है....
ये आज कल कि लडकिया तो
आते ही संबंधों में दरार डाल देती हैं
और मोनू को भी देखो
कितनी जल्दी उसका गुलाम बन बैठा
मेरी दुविधा का कोई अंत नही.....
[खरे जी द्वारा प्रेषित ]
7 टिप्पणियां:
ेर दुवधा का कोई अंत नह.....
Sochane par majboor karne waali post.
Badaai.
Chhoti-chhoti gharelu haalaton mein se aapne samvedana talaash hi nahi ki roobaroo karaya.. Aabhar..
प्रेषित भी बढ़िया
और प्रस्तुत भी बढ़िया
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/2-love-for-all.html
bahi bahan ke pyar ko bahut bhavpoorn andaz me prastut kiya hai.badhai.
kya baat hai !
padhkar maza aa gaya !!
dheere dheere rishton ki ahamiyat hi kam hoti najar aa rahi hai.vicharniye post.
शिखा जी आपको शाहित्याभिवादन
आपकी लेख सच में विचार करने योग्य है की क्यों कर आखिर ऐसा होता है जैसे ही भाई-बहन की शादी हो जाती है उसके बाद रिश्तों में यह दुरी आ जाती है क्या कारण है ?
आपकी यह लेख उस पर जरुर प्रहार करेगी पढ़ने वाले एक बार जरुर गौर करेंगे
बधाई हो आपको.......
मै भी आपके इस मंच का सदस्य बनना चाहता हु मुझे भी लिंक प्रदान का कष्ट करे इसी आशा के साथ आपका अनुज
नीलकमल वैष्णव "अनिश"
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मेरा मेल आई डी
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