ये हैवानियत की पराकाष्ठा है या अमर्यादित समाज की एक तस्वीर ?कई प्रश्न खड़े होते हैं ऐसी खबर पढ़कर -[ ]से साभार ]-
''नई दिल्ली।। एम्स में मौत से जूझ रही दो साल की बच्ची की मदद के लिए दिल्ली सरकार आगे आई है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि बच्ची की हरसंभव मदद की जाएगी। उन्होंने कहा, ' रिपोर्ट आने दीजिए। हम वह सब करेंगे, जिसकी जरूरत है।'गौरतलब है कि एम्स में भर्ती कराई गई दो साल की इस बच्ची के सिर में चोट से ब्रेन के महत्वपूर्ण हिस्से डैमेज हो चुके हैं। चेहरे पर गर्म प्रेस से दागने जैसे निशान हैं। दोनों हाथों में फ्रैक्चर है और पूरे शरीर पर इंसान के काटने के निशान हैं। बच्ची को तीन बार दिल का दौरा पड़ चुका है। उसका इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि उसके बचने की संभावना 50% ही है। उसका इलाज कर रहे न्यूरोसर्जन डॉ. दीपक अग्रवाल ने कहा कि वह एम्स के न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट की आईसीयू में ऐडमिट है और वेंटिलेटर पर है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खुद को इस बच्ची का मां बताने वाली एक 15 साल की लड़की ने इसे अस्पताल में भर्ती कराया था। उसने बताया था कि बच्ची बिस्तर से गिर कर घायल हुई है। हालांकि, डॉक्टर ने उसके इस दावे को झूठा बताया है, क्योंकि बच्ची के शरीर पर गहरे जख्म हैं। इस बच्ची के पूरे शरीर पर काटने के निशान हैं। पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार खुद को इस बच्ची की मां बताने वाली नाबालिग लड़की पिछले साल कथित तौर पर एक लड़के के साथ भाग गई थी। वह संगम विहार इलाके में रह रही थी और यह बच्ची पिछले 20 दिनों से उसके साथ थी।
दक्षिणी दिल्ली की पुलिस उपायुक्त छाया शर्मा ने बताया कि इस सिलसिले में अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 363 (अपहरण), 317 (12 साल से कम उम, के बच्चे को बेसहारा छोड़ना),324 और 325 (जख्म से संबंधित) के तहत मामला दर्ज किया गया है''
इस समय तो केवल प्रभु से यही प्रार्थना की जा सकती है कि इस नन्ही परी के जीवन को बचाएं .
शिखा कौशिक
7 टिप्पणियां:
ईश्वर से प्रार्थना है, बच्ची शीघ्र स्वस्थ हो जाए।
समाज में अभी भी असुरों की कमी नहीं है |मासूम की जिन्दगी के लिए प्रार्थना |
ईश्वर इस बच्ची को पूर्णतया स्वस्थ करे
behad amanviya kritay hae .abodh jaldi svasth ho ham sabki duaayen haen.
जिसकी आत्मा छलनी हो चुकी हो उसके जीवन का भी क्या होगा .ऐसा जीवन जो काया ही नहीं मन पर भी घाव छोड़ जाए सामाजिक क्रूरता के विध्वंश के .और ऐसे समाक का भी क्या कीजिएगा ?जो एकदम से निस्संग और बर्बर समाज है .
कुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !
बसंत पचंमी की शुभकामनाएँ।
कंस तो केवल पटककर बच्चों का वध करता था और आज जो हो रहा है वह तो उससे कई गुना अभिक क्रूर है.पता नहीं कितने कृष्णों को जन्म लेना होगा. या फिर कृष्ण भी इससे निपटने में अपने को अक्षम पते हैं.
घुघूतीबासूती
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